क्या अखिलेश के PDA पर भारी पड़ेगा योगी MDPA? मिल्कीपुर में किसका चलेगा दांव 

Milkipur by-election: सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंच से कुछ खास नेताओं का नाम लिया. इसके पीछे भी उनकी सोची समझी रणनीति है. वे अपने MDPA वाले दांव से चुनाव जीतना चाहते हैं.

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मिल्कीपुर:

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का हेलिकॉप्टर मिल्कीपुर के लिए रवाना हुआ. ठीक उसी समय अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि अयोध्या में जिन अफसरों की ड्यूटी लगी है. उनमें PDA अफसरों की हिस्सेदारी बस 20 प्रतिशत है. मिल्कीपुर में आज सीएम योगी ने चुनावी रैली की. पिछले छह महीनों में उनका इस इलाके का 7वां दौरा है. मंच संभालते ही योगी आदित्यनाथ ने कहा इस उप चुनाव का संदेश देश भर में जाएगा. इस सीट से विधायक रहे अवधेश प्रसाद अब फैजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद बन गए हैं. उनके बेटे अजीत प्रसाद अब मिल्कीपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने यहां से चंद्रभानु पासवान को टिकट दिया है.

आदित्यनाथ का 'सोशल इंजीनियरिंग' तैयार
मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी में कांटे की लड़ाई है. अखिलेश यादव PDA के दम पर इस सीट पर कब्जा बरकरार रखना चाहते है. इसी फार्मूले के सहारे समाजवादी पार्टी को लोकसभा चुनाव में 37 सीटें मिली थीं. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने भी इसके मुकाबले में अपना सोशल इंजीनियरिंग तैयार कर लिया है. अखिलेश यादव के PDA के मुकाबले में सीएम योगी का MDPA वाला फार्मूला तैयार है. इसी फार्मूले से बीजेपी हाल में ही विधानसभा के उप चुनाव में 9 में से सात सीटें जीत चुकी हैं.

अखिलेश यादव का PDA बस दिखावा : योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ ये साबित करने में जुटे हैं कि अखिलेश यादव का PDA बस दिखावा है. उनकी राजनीति तो सिर्फ मुस्लिम परस्त है. इसीलिए उन्होंने जान बूझ कर छह महीने पुरानी रेप की घटना का जिक्र किया. इस केस में पीड़िता पिछड़े वर्ग की है. रेप के आरोप में मोईद खान नाम का समाजवादी पार्टी का नेता जेल में बंद है. सीएम योगी ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी पीड़िता के साथ खड़े होने के बदले मोईन के बचाव में आई. क्योंकि आरोपी मुसलमान है. अखिलेश यादव ने इस केस में मोईद के डीएनए टेस्ट की मांग की थी. योगी आदित्यनाथ इसी बहाने महिला वोटरों को अपने पाले में करना चाहते हैं. उन्होंने यूपी की कानून व्यवस्था को देश में सबसे बेहतर बताया. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में मां, बहने और बेटियां घर से बाहर निकलने से भी डरती थीं. 

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अखिलेश यादव को PDA मतलब पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोटरों पर भरोसा है. योगी आदित्यनाथ इसकी काट में MDPA का फ़ार्मूला लेकर आए हैं. मतलब महिला, दलित, पिछड़ा और अगडी जाति के वोटरों वाला सामाजिक समीकरण. मिल्कीपुर सुरक्षित सीट है. समाजवादी पार्टी और बीजेपी के उम्मीदवार पासी जाति के हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को 13 हज़ार वोटों से हराया था. इस सीट पर अगड़े और यादव वोटर निर्णायक संख्या में हैं. बीजेपी से पिछली बार चुनाव लड़े बाबा गोरखनाथ की छवि सवर्ण विरोधी है. इसीलिए इस बार उनके बदले चंद्रभानु को बीजेपी ने टिकट दिया है. समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद का अगड़ी जाति के वोटरों में अचछा खासा प्रभाव है. इस प्रभाव को कम करने के लिए ही सीएम योगी ने मोईन खान वाला दांव आजमाया है. 

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मोईन खान के भक्तों को चुनाव नहीं जीतने देना है. सीएम योगी ने कहा मोईद खान जैसे लोग सभी के लिए खतरा हैं. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का जुड़ाव गरीब से नहीं है. ये लोग जब कोई माफिया मर जाता है, तब आंसू बहाते हैं. इनकी कब्र पर फातिहा पढ़ने जाते है. एक दलित बेटी की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने वाला मोईद खान इनका हीरो है. यही अखिलेश यादव की पार्टी का चरित्र है.

योगी आदित्यनाथ

सीएम, उत्तर प्रदेश

सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंच से कुछ खास नेताओं का नाम लिया. इसके पीछे भी उनकी सोची समझी रणनीति है. वे अपने MDPA वाले दांव से चुनाव जीतना चाहते हैं. योगी आदित्यनाथ ने विधायक रामचंद्र यादव का नाम लिया. पूर्व विधायक खब्बू तिवारी का ज़िक्र किया. मिल्कीपुर में क़रीब 75 हजार ब्राह्मण वोटर हैं. यहां यादव वोटरों की संख्या 50 हज़ार है. मुयालम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को भी चुनाव प्रचार में लगाया गया है. सीएम योगी को लगता है कि अगर 5 हज़ार यादव वोट भी कट गए तो नुक़सान समाजवादी पार्टी का ही है. 

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पिछड़ी बिरादरी के महापुरुषों का ज़िक्र
सीएम योगी आदित्यनाथ बारी-बारी से दलित और पिछड़ी बिरादरी के महापुरुषों का ज़िक्र करते हैं. इसी बहाने वे अखिलेश यादव के PDA फार्मूले को कमजोर करना चाहते हैं. वे कहते हैं अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मिकी के नाम हुआ तो समाजवादियों के पेट में दर्द होने लगा. सुहसदेव राजभर के नाम पर मूर्ति लगी तो समाजवादी पार्टी नेताओं को बुरा लगा. साथ रविदास के स्मारक पर काम हुआ तो उन्हें परेशानी होने लगी. इसी सिलसिले में उन्होंने बिजली पासी का नाम लिया. योगी आदित्यनाथ की पूरी रणनीति पिछड़े और दलित वोटरों को समाजवाद पार्टी की तरफ जाने से रोकने में हैं. इस बार बीएसपी इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ रही है. सीएम योगी का कोशिश है कि दलित और गैर यादव पिछड़े बीजेपी के साथ रहें. अवधेश प्रसाद एक दो नहीं, बल्कि नौ बार के विधायक रहे हैं. सीएम योगी जानते हैं कि पासी वोटों का बड़ा हिस्सा अवधेश प्रसाद के साथ रह सकता है. 

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मिल्कीपुर चुनाव के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने सात मंत्रियों की टीम लगाई है. अलग अलगा बिरादरी के चालीस विेधायकों को चुनाव में लगाया गया है. फार्मूला ये है कि जिस जाति के वोटर हैं उसी समाज के विधायक को उस इलाके में काम करने को कहा गया है. मिल्कीपुर जीत कर योगी आदित्यनाथ फैजाबाद की हार का बदला लेना चाहते हैं. फैजाबाद में ही अयोध्या पड़ता है. पिछले साल राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा होने पर भी बीजेपी हार गई थी. इस हार का बड़ा गलत संदेश गया. पर इस बार योगी आदित्यनाथ कोई चूक नहीं करना चाहते हैं. इसीलिए वे नई नीति और रणनीति के साथ चुनावी मैदान में हैं.

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