क्यों विरोध कर रहे हैं...; कांवड़ यात्रा रूट नेमप्लेट विवाद पर मेरठ सांसद अरुण गोविल

भारतीय जनता पार्टी सांसद अरुण गोविल ने कहा कि जो भी कांवड़ यात्री आते हैं यह तो उनका हक बनता है कि वह कहां खाना खाए या कहां नहीं खाएं. आप लोग क्यों इसका विरोध कर रहे हैं?

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कांवड़ यात्रा रूट नेमप्लेट पर सियासत तेज
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों के बाहर नेम प्लेट लगाने को लेकर सियासत का दौर जारी है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता लगातार इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कावड़ यात्रा के दौरान नेम प्लेट पर उठे विवाद पर मेरठ से सांसद अरुण गोविल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि नेम प्लेट लगाने में मुझे कोई प्रॉब्लम दिखाई नहीं देती. बाजार में कोई भी दुकान होता है, उसमें नेम प्लेट लिखा होता है. प्रोपराइटर का नाम लिखा होता है इसे किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होती है.

सरकार के आदेश अरुण गोविल ने बोलीं ये बात

इस मुद्दे पर हो रहे विवाद पर भारतीय जनता पार्टी सांसद अरुण गोविल ने कहा कि जो भी कांवड़ यात्री आते हैं यह तो उनका हक बनता है कि वह कहां खाना खाए या कहां नहीं खाएं. आप लोग क्यों इसका विरोध कर रहे हैं? मुझे नहीं पता क्यों लोग इसका विरोध कर रहे हैं, मैं इसका कोई विरोध नहीं कर रहा हूं. इससे कोई धार्मिक आधार पर भेदभाव करने की कोशिश नहीं हो रही है यह उसका फ्रीडम है. इससे पहले मेरठ कैंट सीट से बीजेपी विधायक अमित अग्रवाल ने भी सरकार के इस कदम को सही बताया है.

बीजेपी विधायक ने भी फैसले को ठहराया सही

बीजेपी विधायक अमित अग्रवाल ने कहा कि यह बहुत अच्छा निर्णय है, उत्तराखंड सरकार ने भी इसको लागू किया है. हरिद्वार में कांवड़ यात्रा कोई सैर सपाटा नहीं है, यह एक धार्मिक यात्रा है. धार्मिक यात्रा में इतना प्रतिबंध है कि जो कांवड़िया अपने घर से जाता है, उसके घर में भी पराठा नहीं बनता है. इतना अनुशासन रखना पड़ता है, इतने नियम से जो यात्रा होगी उसमें प्याज, लहसुन, नॉनवेज नहीं खाना है, कांवड़ लेकर जाने वाले का यह संकल्प रहता है.

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