Etawah Suicide: उत्तर प्रदेश के इटावा में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां नगर पालिका परिषद के एक वरिष्ठ लिपिक (Senior Clerk) राजीव यादव का शव यमुना नदी से 29 घंटे बाद तैरता हुआ मिला है. राजीव यादव ने कथित तौर पर पालिका के कुछ अधिकारियों और नेताओं की प्रताड़ना से तंग आकर नदी में छलांग लगा दी थी.
सुसाइड नोट में सपा को श्राप
लेकिन इस घटना ने अब एक बड़ा सियासी मोड़ ले लिया है. मृतक राजीव यादव के सुसाइड नोट में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को सीधे तौर पर 'श्राप' दिया गया है. नोट में लिखा है- 'मेरे सुसाइड नोट के ही कारण 2027 के चुनाव में समाजवादी पार्टी का पतन (Downfall) होगा.' यह बात सामने आते ही हड़कंप मच गया है.
अक्टूबर में रिटायर होने वाले थे राजीव
58 वर्षीय राजीव यादव अक्टूबर में सेवानिवृत्त होने वाले थे. वह कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष भी थे. परिजनों का आरोप है कि उन्हें नगर पालिका परिषद के अधिकारियों द्वारा झूठे आरोपों में फंसाकर बार-बार जांच और गैर-जरूरी नोटिस दिए जा रहे थे.
इन पांच लोगों पर दर्ज हुई FIR
मृतक के पुत्र सिद्धार्थ यादव की तहरीर (Complaint) पर पुलिस ने 5 नामजद लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है. इनमें नगर पालिका ईओ संतोष मिश्रा, नगर पालिका की वर्तमान अध्यक्ष ज्योति गुप्ता (सपा समर्थित), नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता (सपा समर्थित) और दो सेवानिवृत्त कर्मचारियों का नाम शामिल है.
नगर पालिका अध्यक्ष ज्योति गुप्ता व पूर्व अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता की फाइल फोटो.
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एक्शन की तैयारी में पुलिस
सीओ सिटी अभय नारायण राय ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि मृतक के पुत्र की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले में फुल लीगल एक्शन की तैयारी की जा रही है.
'जब तक गिरफ्तारी नहीं, तब तक अंतिम संस्कार नहीं'
गुरुवार को जब SDRF टीम ने 29 घंटे के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद राजीव यादव का शव नदी से बाहर निकाला, तो पूरे परिवार और नगर पालिका कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गई. शव को पोस्टमार्टम के लिए लाया गया, जहां भारी संख्या में परिजन, राजनेता, और समाज सेवक इकट्ठा हो गए. सदर विधायक सरिता भदौरिया भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचीं.
पोस्टमार्टम हाउस पर हाई-वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. मृतक के पुत्र सिद्धार्थ यादव ने मीडिया से बात करते हुए पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने आरोप लगाया कि वह 'जुआरी और सटोरिया' है. सिद्धार्थ ने मांग करते हुए कहा कि जब तक पांचों नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, तब तक वह अपने पिता का दाह संस्कार नहीं करेंगे. उन्होंने अपनी जान को भी खतरा बताया और कहा कि पूर्व अध्यक्ष इतने दबंग हैं कि उन्हें उनसे डर लगता है, लेकिन वह अपने पिता को न्याय दिलाकर रहेंगे.
मृतक के बेटे को पुलिस ने मनाया
देर शाम पुलिस प्रशासन द्वारा ठोस आश्वासन दिए जाने के बाद आखिरकार सिद्धार्थ यादव ने अंतिम संस्कार करने की सहमति दी. पुलिस अब मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच में जुट गई है. यह सुसाइड नोट अब समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है.
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