60 करोड़ रुपए की संदिग्ध फंडिंग, रोहरा-नीतू के नाम पर संपत्ति... ED ने खोल दी छांगुर बाबा की पोल

एफआईआर में दावा किया गया है कि छांगुर बाबा और उनके साथियों ने बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण की साजिश रची थी, जिसमें विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया गया और यह मामला देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता था.

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  • प्रवर्तन निदेशालय की लखनऊ टीम ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छांगुर बाबा और उनके साथियों के 15 ठिकानों पर छापेमारी की है.
  • छांगुर बाबा पर बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण की साजिश रचने और विदेशी फंडिंग का आरोप है.
  • जांच में पाया गया कि छांगुर बाबा अनुसूचित जाति और कमजोर हिंदू वर्ग को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाते और डराते थे.
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लखनऊ:

प्रवर्तन निदेशालय की लखनऊ जोनल टीम ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में छांगुर बाबा, उनके करीबी नवीन रोहरा और अन्य से जुड़े 15 ठिकानों पर छापेमारी की है. ये कार्रवाई बलरामपुर, लखनऊ और मुंबई में की गई. ईडी की ये जांच उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू की गई, जिसमें आईपीसी की कई धाराओं के तहत संगीन आरोप लगे हैं.

एफआईआर में दावा किया गया है कि छांगुर बाबा और उनके साथियों ने बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण की साजिश रची थी, जिसमें विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल किया गया और यह मामला देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता था.

'लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाते थे'
जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा बलरामपुर स्थित चांद औलिया दरगाह परिसर से पूरे नेटवर्क का संचालन कर रहे थे. वहां भारत और विदेशों से लोग बड़ी संख्या में एकत्र होते थे. बाबा पर आरोप है कि वो खासतौर पर अनुसूचित जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू वर्ग के लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाते थे, डराते थे और गुमराह करते थे.

60 करोड़ रुपए से अधिक की संदिग्ध फंडिंग
ईडी ने अब तक छांगुर बाबा और उनके साथियों से जुड़ी 22 बैंक खातों की जांच की है, जिसमें 60 करोड़ रुपए से अधिक की संदिग्ध फंडिंग सामने आई है. इसमें बड़ी रकम विदेशों से आई थी. छापेमारी के दौरान कई ऐसे दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिससे पता चलता है कि ये पैसे यानी अपराध से कमाई गई रकम कई लोगों को ट्रांसफर की गई, ताकि उससे करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदी जा सके और उनमें निर्माण कार्य कराया जा सके.

सबसे अहम बात यह है कि जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर बाबा ने ये सारी संपत्तियां अपने नाम पर नहीं, बल्कि अपने सहयोगियों नवीन रोहरा और नीतू रोहरा के नाम पर खरीदीं, ताकि असली साजिशकर्ता की पहचान छिपा रहे. ईडी को तलाशी के दौरान कई ऐसे कागजात और सबूत मिले हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग केस में बेहद अहम माने जा रहे हैं.

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