अखिलेश यादव के खिलाफ बीजेपी और सहयोगी दलों का डबल डोज

सुहेलदेदव राजभर के नाम के बहाने बीजेपी की नज़र पिछड़े वर्ग के वोटरों पर है. ऐसे में पार्टी के कुछ मुस्लिम नेताओं के सालार मसूद के दरगाह जाने पर विवाद बढ़ गया है. ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के साथ बीजेपी का गठबंधन है. 

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दो साल बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
लखनऊ:

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे की टीम दरगाह पहुंची और दुआ की. दरगाह से बाहर निकले तो बहराइच में गजनवी सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी का गुणगान किया. सालार मसूद को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आक्रांता बताते रहे हैं. लेकिन पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने उन पर चादर चढ़ाई. ये बात बीजेपी नेताओं को पसंद नहीं आई. बीजेपी के सहयोगी दलों का भी गुस्सा सातवें आसमान पर है. दूसरी और ओम प्रकाश राजभर सुहेलदेव राजभर के सम्मान में 10 जून को एक बड़े कार्यक्रम की तैयारी में हैं. 

OBC वोटरों पर है नजर

गाजी सालार मसूद का विरोध करने में और सुहेलदेव राजभर का सम्मान करने में, बीजेपी को संभावनाए नजर आती हैं. संभावना मुसलमानों के खिलाफ हिंदू वोटरों को एकजुट करने की. खास तौर से OBC समाज के लोगों को. इसीलिए तो पिछले कुछ समय से बीजेपी एकदम आक्रामक तेवर में हैं. हिंदुत्व की छवि वाले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इसी एजेंडे पर हैं. उनका मूड भांप कर कई जिलों में गाजी सालार मसूद के नाम पर लगने वाले मेले पर रोक लग गई है. 

सुहेलदेदव राजभर के नाम के बहाने बीजेपी की नज़र पिछड़े वर्ग के वोटरों पर है. ऐसे में पार्टी के कुछ मुस्लिम नेताओं के सालार मसूद के दरगाह जाने पर विवाद बढ़ गया है. ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के साथ बीजेपी का गठबंधन है. 

शुरुआत हुई संभल से, फिर तो देखते ही देखते शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका में कई जिलों में मेले पर बैन लगा. मई के महीने में बहराइच में गाजी सालार मसूद के दरगाह पर सालाना मेला लगता है. लाखों लोग आते हैं. हिंदू भी और मुसलमान भी. लेकिन इस बार मेला नहीं हो पाया. पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए. कहा गया कि लाखों लोग आयेंगे तो हालात बिगड़ सकते हैं. 

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बाबा साहेब आंबेडकर के नाम पर दलितों को रिझाने की होड़ मची है. यही काम सुहेलदेव राजभर के बहाने OBC वोटरों के लिए हो रहा है. पीएम नरेन्द्र मोदी ने साल 2021 में सुहेलदेव की मूर्ति का शिलान्यास किया था. पहले कुछ लोग उन्हें सुहेलदेव पासी भी कहा करते थे. इस लिहाज़ से दलित समाज का भी कनेक्शन उस नाम से है. समाजवादी पार्टी भी बहती गंगा में हाथ धोने को बेताब हैं. मामाला वोट का है. अखिलेश यादव ने भी सरकार बनने पर लखनऊ में गोमती रिवरफ्रंट पर सुहेलदेव की मूर्ति लगाने की घोषणा की है. 

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ओम प्रकाश राजभर की राजनीति की बुनियाद ही सुहेलदेव राजभर हैं. बीजेपी की तरह अखिलेश यादव भी इस वोट बैंक पर होम वर्क कर रहे हैं. पर अखिलेश के सामने चुनौती ये हैं कि वे गाज़ी सालार मसूद के नाम का विरोध नहीं कर सकते हैं. ओम प्रकाश राजभर उनकी इसी दुखती रग पर अपना राजनीति बढ़ाने के चक्कर में हैं. इसलिए वे कहते हैं जो भी गाजी सालार मसूद के दरगाह गया उसपर सुहेलदेव के अपमान का दाग लगेगा. दो साल बाद यूपी में चुनाव है.

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क्या है ओम प्रकाश राजभर का प्लान

राजभर की पार्टी बहराइच से अभियान शुरू करना चाहती है. वहीं गाजी सालार मसूद और सुहेलदेव राजभर में युद्ध हुआ था. ओम प्रकाश राजभर कहते हैं कि बहराइच से संदेश लेकर यूपी के कोने कोने में पहुंचेंगे. हिंदुत्व की राजनीति वाले नैरेटिव में ये फ़िट हैं और हिट भी हो सकता है.

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