बांके बिहारी कॉरिडोर मामला: SC ने UP सरकार को अध्यादेश की कॉपी और हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश 

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वह ट्रस्ट के संबंध में पारित अध्यादेश की एक प्रति याचिकाकर्ता को दें और संबंधित प्रधान सचिव को 29 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के मथुरा के वृंदावन में स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर मामले में नया मोड़ आया है. मंदिर के सेवायतों ने उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश को चुनौती दी है. कल ही राज्यपाल के आदेश से ये लागू किया गया है, जिसमें ट्रस्ट बनाने का भी फैसला हुआ है. इस अध्यादेश को ही सेवायतों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. यूपी सरकार काशी विश्वनाथ की तरह ही इस अध्यादेश के ज़रिए बांके बिहारी कॉरिडोर बनाना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले पर बहस हुई.

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और प्रस्तावित गलियारे के काम की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट बनाया है. उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत पूरी धनराशि ट्रस्ट के पास होगी, न कि सरकार के पास.

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वह ट्रस्ट के संबंध में पारित अध्यादेश की एक प्रति याचिकाकर्ता को दें और संबंधित प्रधान सचिव को 29 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

Advertisement
शीर्ष अदालत ने 15 मई को श्रद्धालुओं के लिए मंदिर कॉरिडोर विकसित करने की राज्य सरकार की योजना का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. इसके बाद न्यायालय ने राज्य सरकार की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि मंदिर के कोष का उपयोग केवल मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि खरीदने के लिए किया जाए.

राज्य सरकार द्वारा मंदिर के विकास के लिए रिकॉर्ड पर रखी गई प्रस्तावित योजना के तहत न्यायालय ने कहा कि मंदिर के आसपास पांच एकड़ भूमि अधिग्रहित की जानी थी और उस पर पार्किंग स्थल, भक्तों के लिए आवास, शौचालय, सुरक्षा जांच चौकियां और अन्य सुविधाएं बनाकर उसका विकास किया जाना था.

Advertisement

गोस्वामी ने 19 मई को एक याचिका दायर करके कहा कि प्रस्तावित पुनर्विकास परियोजना का क्रियान्वयन व्यावहारिक रूप से अव्यावहारिक है. याचिका में दावा किया गया है कि 'इस तरह के पुनर्विकास से मंदिर और उसके आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के आवश्यक धार्मिक और सांस्कृतिक चरित्र के बदलने का जोखिम है, जिसका गहरा ऐतिहासिक और भक्ति महत्व है.'

Advertisement
याचिका में कहा गया है कि गोस्वामी, मंदिर के संस्थापक स्वामी हरिदास गोस्वामी के 'वंशज' हैं और उनका परिवार पिछले 500 वर्षों से मंदिर के मामलों का प्रबंधन कर रहा था. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह मंदिर के दैनिक धार्मिक और प्रशासनिक मामलों के प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल थे.

न्यायालय ने अपने 15 मई के फैसले के जरिये उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आठ नवंबर, 2023 के उस आदेश को संशोधित किया था, जिसने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को स्वीकार कर लिया था, लेकिन उसे मंदिर के धन का उपयोग करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Patna में Khemka Murder Case के बाद Law And Order के सवाल पर NDA के घटक दल आमने सामने | Bihar
Topics mentioned in this article