अयोध्या राम मंदिर में फिर दिखेगी हैदराबाद की कंपनी की झलक
हिंदुओं के सबसे अहम तीर्थ स्थलों में से एक अयोध्या के राम मंदिर परिसर में 5 जून को 14 नए मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इनमें राम दरबार भी शामिल है. इस खास मौके के लिए गंगा दशहरा का पवित्र दिन चुना गया है. राम जन्मभूमि परिसर के मंदिरों में हैदराबाद ने अपनी खास छाप छोड़ी है. वजह है यहां के कारीगरों की तरफ से बनाए गए भव्य और अनूठे द्वार. जन्मभूमि मंदिर परिसर के भीतर सभी नए मंदिरों के द्वार (Ayodhya Ram Temple Gates) भी मुख्य मंदिर की तरह ही हैदराबाद के अनुराधा टिम्बर्स इंटरनेशनल के कारीगरों ने ही बनाए हैं.
ये द्वार देखने में बहुत ही भव्य और सुंदर हैं. इन नक्काशीदार दरवाजों को हैदराबाद के कारीगरों ने अपने हाथों से तराशा है. हर दरवाजे पर देश की संस्कृति और आध्यात्मिक की छाप देखी जा सकती है. बता दें कि राम मंदिर के दरवाजे नागर शैली में महाराष्ट्र से लाई गई सागवान की लकड़ी से बनाए गए हैं.
मंदिर के दरवाजों पर नक्काशी और बढ़ईगीरी का काम अयोध्या में ही किया गया है. हैदराबाद की कंपनी के कारीगरों ने अयोध्या में मंदिर स्थल के पास एक विशेष रूप से स्थापित कार्यशाला में इन दरवाजों को तैयार किया है. इस कार्यशाला को पीएम मोदी की प्रेरणा और प्रोत्साहन के बाद राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले वहां पर स्थापित किया गया था. पीएम मोदी ने तेलंगाना में आयोजित अपनी सार्वजनिक बैठकों के दौरान भी मंदिर के नक्काशीदार दरवाजों की उत्कृष्ट शिल्प कौशल की खूब तारीफ की थी.
बता दें कि 5 जून को गंगा दशहरा के दिन राम मंदिर परिसर में जिन 14 नए मंदिरों में अभिषेक किया जाना है, उनमें पहली मंजिल पर राम दरबार शामिल है, राम दरवार में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं.
परकोटा या बाहरी दीवार पर भगवान शिव (उत्तर-पूर्व कोना), भगवान गणेश (दक्षिण-पूर्व कोना), भगवान हनुमान (दक्षिणी तरफ), भगवान सूर्य (दक्षिण-पश्चिम कोना), देवी भगवती (उत्तर-पश्चिम कोना) और देवी अन्नपूर्णा (उत्तरी तरफ) के छह मंदिर हैं.
वहीं सप्त मंडपम क्षेत्र में ऋषि वशिष्ठ, ऋषि वाल्मीकि, ऋषि अगस्त्य, ऋषि विश्वामित्र, अहिल्या, शबरी और निषादराज के सात मंदिर हैं. 3 से 5 जून, 2025 तक राम मंदिर परिसर में समारोह आयोजित किए जाएंगे. जिसके अंतिम दिन भव्य प्राण प्रतिष्ठा होगी.
अनुराधा टिंबर्स के मैनेजिंग पार्टनर चदलावदा शरथ बाबू ने एनडीटीवी को बताया कि मंदिरों के लिए दरवाजे बनाना अनुराधा टिम्बर्स इंटरनेशनल के लिए गौरव की बात है. कंपनी अपनी शिल्पकला के जरिए देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध ह. परकोटा के लिए कई शेष दरवाजों पर काम चल रहा है. उनकी टीमें पूरी भक्ति और सटीकता के साथ समय पर काम पूरा करने के लिए चौबीसों घंटे काम में जुट हुई है.