UP में बुलडोजर एक्शन पर 'ब्रेक! कोर्ट का बड़ा आदेश, बरेली में फिलहाल नहीं ढहाए जाएंगे 27 घर

याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि नगर पालिका द्वारा नगरपालिका कर वसूले जा रहे है और इस प्रकार निर्माण वस्तुत: नियमित हो गए है. कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि नोटिस वास्तव में प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश के रूप में है और इसलिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुपालन के अभाव में यह टिकने योग्य नहीं है.

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प्रयागराज:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरेली के शाहबाद के 27 मकानों के खिलाफ बरेली नगर निगम द्वारा नोटिस के आदेश पर बुलडोजर एक्शन पर फिलहाल रोक लगा दी है. कोर्ट ने बरेली नगर निगम द्वारा मकानों के मालिकों को दिए नोटिस के खिलाफ दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता चार हफ्ते के अंदर  9 अक्टूबर 2025 के नोटिस का अपना व्यक्तिगत उत्तर दें.

कोर्ट ने कहा है कि अगर याचिकार्ताओं द्वारा जवाब प्रस्तुत किया जाता है तो मामले में प्रतिवादी संख्या चार यानी बरेली नगर निगम द्वारा 9 अक्टूबर 2025 को जारी किए गए नोटिस पर मामले का निपटारा एक तर्कसंगत और स्पष्ट आदेश के माध्यम से दो महीने की अतिरिक्त अवधि के अंदर करेगा और वह भी याचिकाकर्ताओं को व्यक्तिगत सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आदेश के तीन महीने की अवधि तक या सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्णय लिए जाने तक जो भी पहले हो, नोटिस के अनुसरण में याचिकाकर्ताओं के स्थायी निर्माणों के विरुद्ध कोई भी बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी. यह आदेश जस्टिस अजीत कुमार और जस्टिस सत्य वीर सिंह की डबल बेंच ने याचिकाकर्ता मोहम्मद शाहिद व 6 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

मामले के अनुसार याचिकाकर्ताओं की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं ने बरेली नगर निगम द्वारा नौ अक्टूबर 2025 के नोटिस पर सवाल उठाते हुए याचिका दाखिल की थी नोटिस में याचिकाकर्ताओं को 15 दिनों के अंदर अपने अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया था.

याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि नगर पालिका द्वारा नगरपालिका कर वसूले जा रहे है और इस प्रकार निर्माण वस्तुत: नियमित हो गए है. कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि नोटिस वास्तव में प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश के रूप में है और इसलिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुपालन के अभाव में यह टिकने योग्य नहीं है. वहीं, स्थानीय निकाय के वकील और सरकार की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही प्राधिकारी से संपर्क कर जवाब दाखिल कर दिया है. इसलिए कारण बताओ नोटिस के मामले को कानून के अनुसार निपटाने का निर्देश दिया जा सकता है, बशर्ते कि प्रत्येक याचिकाकर्ता नोटिस का अपना अलग से जवाब दे. सरकार और नगर निगम के अधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि इस आदेश की सूचना तत्काल जिला बरेली प्रशासन को देंगे ताकि याचिकाकर्ताओं के निवास वाले स्थायी निर्माणों के मामले में कोई भी ध्वस्तीकरण कार्रवाई न की जाए.

बता दें कि बरेली के प्रेम नगर के शाहबाद इलाके में 27 मकानों को नोटिस जारी किया गया था. इन मकानों के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होनी थी. इस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान भी शामिल थे. मोहम्मद शाहिद समेत सात याचियों ने नगर निगम के नोटिस को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट में सभी पक्षों ने अपना पक्ष रखा. याचिकाकर्ताओं ने उन नोटिसों को चुनौती दी थी जिनमें उनके घरों को अवैध निर्माण बताया गया था और उन्हें 15 दिनों के अंदर निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया था. उन्होंने अदालत को बताया कि बरेली नगर निगम वर्षों से उनसे नगर निगम कर वसूल रहा है और उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बिना ही ये नोटिस जारी कर दिए गए. कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे नौ अक्टूबर को जारी किए गए ध्वस्तीकरण नोटिस पर निवासियों की व्यक्तिगत सुनवाई के बाद ही निर्णय लें.

गौरतलब है कि बरेली में प्रशासन द्वारा 26 सितंबर को बरेली में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद उठाया गया था. इस मामले में अधिकारियों ने मौलवी तौकीर रजा और उनके समर्थकों से जुड़े अनधिकृत ढांचों के खिलाफ अभियान शुरू किया था.

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