कानूनी दांव-पेंच में फंसे आजम खान: जमानत के बावजूद जेल से बाहर आना मुश्किल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के क्वालिटी बार मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को जमानत दे दी थी, जिसके बाद उनकी रिहाई की उम्मीद बढ़ गई थी. आजम खान के खिलाफ लगभग 100 मामले दर्ज हैं, और इस जमानत के साथ उन्हें सभी मामलों में बेल मिल चुकी थी. हालांकि, अब उनकी रिहाई में एक नई मुश्किल आ गई

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  • आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्वालिटी बार मामले में जमानत दी थी, जिससे उनकी रिहाई की उम्मीद बढ़ी थी.
  • रामपुर पुलिस ने आजम खान के खिलाफ शत्रु संपत्ति मामले में नई धाराएं जोड़ते हुए अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की है.
  • नई चार्जशीट में IPC की धाराएं जालसाजी, जाली दस्तावेजों का उपयोग और सबूत मिटाने से संबंधित हैं.
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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान, जो सीतापुर जेल में बंद हैं, को गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली थी, जिससे उनकी जल्द रिहाई की उम्मीद जगी थी. अब आजम खान की रिहाई कानूनी पेंच में फंस गई है. रामपुर पुलिस ने एक अन्य मामले में कुछ और धाराएं जोड़ते हुए रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में एक अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की है. इस चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए रामपुर कोर्ट ने आजम खान को 20 सितंबर को तलब किया है, जिससे उनकी जेल से रिहाई में और देरी हो सकती है.

कानूनी पेंच में फंसी रिहाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के क्वालिटी बार मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को जमानत दे दी थी, जिसके बाद उनकी रिहाई की उम्मीद बढ़ गई थी. आजम खान के खिलाफ लगभग 100 मामले दर्ज हैं, और इस जमानत के साथ उन्हें सभी मामलों में बेल मिल चुकी थी. हालांकि, अब उनकी रिहाई में एक नई मुश्किल आ गई है. आजम खान के वकील इमरान उल्लाह के अनुसार, पुलिस ने एक और मामले में कुछ नई धाराएं जोड़ी हैं. पुलिस ने अदालत में IPC की धारा 467 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग) और 201 (सबूत मिटाना) के तहत एक अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की है. इस वजह से आजम खान का जेल से बाहर आना मुश्किल हो गया है. अब आजम खान को इन नई धाराओं में भी जमानत लेनी होगी, जिससे उनकी रिहाई में और देरी हो सकती है.

अधिवक्ता इमरान उल्ला के अनुसार, रामपुर पुलिस ने मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़े शत्रु संपत्ति मामले में आजम खान के खिलाफ तीन नई धाराएं जोड़ी हैं. इस संबंध में रामपुर कोर्ट में एक अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल की गई है. अब 20 सितंबर को आजम खान को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होना है. अगर इस तारीख से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट से उनकी रिहाई का आदेश सीतापुर जेल पहुंच जाता है, तो आजम खान बाहर आ सकते हैं. हालांकि, यदि ऐसा नहीं होता है, तो 20 सितंबर को पुलिस अपनी जांच की अपडेटेड रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी. कोर्ट से मंजूरी मिलते ही, बढ़ी हुई धाराएं शत्रु संपत्ति केस में जुड़ जाएंगी. इसके बाद आजम खान को इन नई धाराओं में जमानत के लिए फिर से याचिका दाखिल करनी पड़ेगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान को रामपुर के चर्चित क्वालिटी बार मामले में जमानत दे दी है. इस मामले में, रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आजम खान ने हाईकोर्ट का रुख किया था. यह मामला तब का है जब आजम खान मंत्री थे. उन पर रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में स्थित क्वालिटी बार पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा था. बार के मालिक गगन अरोड़ा की शिकायत पर 21 नवंबर 2019 को सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में आजम खान के साथ-साथ सैयद जफर अली जाफरी, डॉ. तंजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम खान के खिलाफ भी धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश जैसी धाराओं (IPC की धारा 420, 468, 471, 201, 120-B और 467) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

क्या है क्वालिटी बार मामले का आरोप?
आजम खान पर आरोप है कि जब वह मंत्री थे, तो उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया. आरोप के अनुसार, 13 मार्च 2014 को उन्होंने जिला सहकारी संघ लिमिटेड की 169 वर्ग गज जमीन, जिस पर क्वालिटी बार स्थित था, उसे केवल 1200 रुपये मासिक किराए पर अपनी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा के नाम आवंटित करवा दिया. इसके अलावा, इस जमीन से लगी 302 वर्ग मीटर की एक और जमीन 300 रुपये प्रति माह के किराए पर डॉ. तंजीन फात्मा को दी गई. 22 जुलाई 2014 को उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को भी सह-किराएदार के रूप में जोड़ा गया. आरोप है कि यह प्रस्ताव उस समय के जिला सहकारी संघ के चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी की अध्यक्षता में पास हुआ था. पुलिस ने इस मामले में चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी, आजम खान की पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. बाद में, जांच के दौरान आजम खान को भी आरोपी बनाया गया. ट्रायल कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आजम खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था.

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