यूपी कोआपरेटिव बैंक को 146 करोड़ रु. का चूना लगाने वाले गैंग के 5 सदस्‍य गिरफ्तार, यूं दिया वारदात को अंजाम..

अभियुक्तों ने 18 महीने में एक करोड़ रुपये की लागत से तीन हैकरों, छह डिवाइस, तीन की-लागर सॉफ्टवेयर खरीद कर और तीन बैंक अधिकारियों की मदद से उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर आरटीजीएस के 146 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव (सहकारी) बैंक लिमिटेड, मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर 146 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के दो मास्‍टर माइंड समेत पांच अभियुक्तों को मंगलवार को पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने गिरफ्तार किया. एसटीएफ मुख्यालय से मंगलवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गयी. बयान के अनुसार अभियुक्तों ने 18 महीने में एक करोड़ रुपये की लागत से तीन हैकरों, छह डिवाइस, तीन की-लागर सॉफ्टवेयर खरीद कर और तीन बैंक अधिकारियों की मदद से उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर आरटीजीएस के 146 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.

बयान के अनुसार एसटीएफ ने इस मामले में दो षडयंत्रकारियों- राज्य के गृह विभाग में तैनात अनुभाग अधिकारी राम राज (मूल निवासी फतेहपुर) और शाहजहांपुर के निवासी ध्रुव कुमार श्रीवास्तव तथा कोआपरेटिव बैंक, सीतापुर के सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह ( मूल निवासी एटा), कानपुर के आकाश कुमार और बिहार के औरंगाबाद जिले के निवासी भूपेंद्र सिंह को सोमवार की रात लखनऊ के पॉलिटेक्निक चौराहे के बांस मंडी के पास से गिरफ्तार किया. सभी आरोपी फिलहाल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विभिन्न इलाकों में रहते हैं.बयान के मुताबिक पुलिस ने इनके कब्जे से बैंक आईडी कार्ड, 25 सेट आधार कार्ड, 25 सेट निवास प्रमाण पत्र, सात अदद एटीएम कार्ड समेत कई दस्तावेज बरामद किये हैं.

एसटीएफ के मुताबिक उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक मुख्यालय के सहायक महाप्रबंधक अजय कुमार त्रिपाठी ने 16 अक्टूबर, 2022 को यहां साइबर अपराध थाने में एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी जिसमें आरोप लगाया गया कि जिला सहकारी बैंकों के सात खातों से आठ लेन-देन के माध्‍यम से अनधिकृत तरीके से 146 करोड़ रुपये आरटीजीएस के माध्यम से अंतरित किये गये हैं. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एसटीएफ के प्रभारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के नेतृत्व में जांच शुरू की गयी, जिससे यह पता चला कि उप्र कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुख्यालय एमजी मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ के सर्वर को हैक कर डिवाइस एवं की-लागर की मदद से बैंक प्रबंधक एवं खजांची की आईडी का लागिन एवं पासवर्ड प्राप्त किया गया तथा रिमोट एक्सिस से भूमि सागर ग्रुप आफ कंपनीज के आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक के खातों में 146 करोड़ रुपये आरटीजीएस के माध्यम से अंतरित किये गये हैं.

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एसटीएफ के बयान के अनुसार इसके बाद टीम ने तकनीकी विशेषज्ञों और मुखबिर के माध्‍यम से सोमवार को बांसमंडी तिराहे के निकट साइबर अपराधियों के गिरोह के दो मास्‍टर माइंड समेत पांच अभियुक्‍तों को सोमवार की रात गिरफ्तार कर लिया.एसटीएफ टीम की पूछताछ में अभियुक्त साजिशकर्ता ध्रुव कुमार श्रीवास्तव ने बताया ,‘‘ मैं लखनऊ में अपने मित्र के साथ मई 2021 में आया था और तब मेरी मुलाकात आकाश कुमार से हुई और आकाश के जरिये हम लोग एक ठेकेदार से मिले.''श्रीवास्तव ने पूछताछ के दौरान कहा, ‘‘ ठेकेदार ने बताया कि मेरे पास एक हैकर है और हम लोग अगर मिलकर बैंक के किसी अधिकारी को सेट कर लें तो बैंक के सिस्‍टम को रिमोट एक्सिस पर लेकर लगभग तीन सौ करोड़ रुपये अपने फर्जी खातों में अंतरित कर लेंगे. इसके बाद भूपेंद्र सिंह के जरिये हम लोगों की बैठक कोआपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह से हुई. फिर हैकर ने एक डिवाइस तैयार की और आठ बार प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिली. इसके बाद लोकभवन में गृह विभाग में तैनात अनुभाग अधिकारी राम राज से इसी बीच हम लोगों की मुलाकात हुई और उसके सहयोग से इसमें सफलता मिल गयी. ''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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