त्योहारों में मिल सकती है राहत! 15 रुपये तक सस्ता हो सकता है खाने का तेल, सरकार ने उठाया ये कदम

सरकार ने पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कच्ची किस्मों पर मूल सीमा शुल्क को हटा दिया है और इसके साथ ही रिफाइंड खाद्य तेलों पर शुल्क में कटौती की है. इससे आसमान छूती खाद्य तेलों की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ सकती है

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
सरकार ने रिफाइंड खाद्य तेलों के मूल सीमा शुल्क में की कटौती. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

सरकार ने बुधवार को पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कच्ची किस्मों पर मूल सीमा शुल्क को हटा दिया है और इसके साथ ही रिफाइंड खाद्य तेलों पर शुल्क में कटौती (Custom Duty Reduced) की है. इस कदम से त्योहारी मौसम में खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने और उपभोक्ताओं को राहत देने में मदद मिलेगी. खाद्य तेल उद्योग निकाय SEA ने कहा कि इससे आसमान छूती खाद्य तेलों की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ सकती है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने दो अलग-अलग अधिसूचनाओं में कहा कि 14 अक्टूबर से प्रभावी आयात शुल्क और उपकर में कटौती 31 मार्च, 2022 तक लागू रहेगी.

कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC- Agri Cess) भी कम किया गया है. कच्चे पाम तेल पर अब 7.5 प्रतिशत का कृषि अवसंरचना विकास उपकर लगेगा, जबकि कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल के लिए यह दर पांच प्रतिशत होगी. पहले उपकर 20 प्रतिशत था जबकि मूल सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत था. इस कटौती के बाद कच्चे पाम तेल पर प्रभावी सीमा शुल्क 8.25 प्रतिशत का होगा. कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर प्रभावी सीमा शुल्क क्रमशः 5.5 प्रतिशत - 5.5 प्रतिशत होगा. पहले इन तीन कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क दर 24.75 प्रतिशत थी. इसके अलावा सूरजमुखी, सोयाबीन, पामोलिन और पाम तेल की परिष्कृत किस्मों पर मूल सीमा शुल्क मौजूदा 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इन तेलों के रिफाइंड संस्करण पर एआईडीसी नहीं लगता है.

- - ये भी पढ़ें - -
* 2018 के लेवल पर क्रूड ऑयल के दाम, लेकिन पेट्रोल 20 तो डीजल 17 रुपये हो गया महंगा, समझें- गणित
* "सरसों सस्‍ती, तेल महंगा क्‍यों" : रवीश कुमार के प्राइम टाइम का वीडियो शेयर कर दिग्विजय ने साधा मोदी सरकार पर निशाना

Advertisement

किसानों की आय पर पड़ सकता है असर

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, ‘घरेलू बाजार और त्योहारी मौसम में खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी के कारण सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क घटा दिया है.' हालांकि, उन्होंने कहा है कि यह इस फैसले के लिए सही समय नहीं है, क्योंकि इससे किसानों की आय प्रभावित हो सकती है. मेहता ने कहा, ‘‘सोयाबीन और मूंगफली की कटाई शुरू हो गई है. आयात शुल्क को कम करने के निर्णय से बाजार की कीमतों में कमी आ सकती है और किसानों को कम कीमत मिल सकती है.'

Advertisement

खुदरा कीमतों पर इस फैसले के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, मेहता ने कहा, 'इस शुल्क कटौती के फैसले के बाद रिफाइंड पाम तेल की खुदरा कीमतों में 8-9 रुपये प्रति लीटर की कमी आ सकती है, जबकि रिफाइंड सूरजमुखी और सोयाबीन तेल की कीमतों में 12-15 रुपये प्रति लीटर की कमी हो सकती है.' उन्होंने कहा कि आमतौर पर भारत द्वारा अपने आयात शुल्क को कम करने के बाद अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि होती है.

Advertisement

घरेलू खुदरा बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने के अपने प्रयासों के तहत पिछले कुछ महीनों में सरकार द्वारा शुल्क में चौथी बार कटौती की गई है. सरकार ने स्टॉक होल्डिंग सीमा लगाने सहित अन्य कदम भी उठाए हैं. वैश्विक कारकों और स्थानीय स्तर पर आपूर्ति की कमी के कारण पिछले एक साल में घरेलू खुदरा बाजारों में खाद्य तेल की कीमतों में 46.15 प्रतिशत तक की तेजी आई है. भारत अपनी 60 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेल जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है.

Advertisement

कितना हुआ आयात

SEA के आंकड़ों के अनुसार, पाम तेल के सर्वकालिक उच्च आयात के कारण सितंबर के दौरान खाद्य तेलों का आयात 63 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 16.98 लाख टन हो गया. इससे पहले अक्टूबर 2015 में भारत ने 16.51 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया था. भारत द्वारा वर्ष 1996 में पाम तेल का आयात शुरू करने के बाद से सितंबर 2021 में 12.62 लाख टन पाम तेल का आयात किया गया जो किसी एक महीने में किया गया सबसे अधिक आयात है.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल नौ अक्टूबर को सोया तेल की औसत खुदरा कीमत 154.95 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो एक साल पहले की समान अवधि के 106 रुपये प्रति किलोग्राम से 46.15 प्रतिशत अधिक है.
इसी तरह, सरसों तेल की औसत कीमत 43 प्रतिशत बढ़कर 184.43 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो पहले 129.19 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि वनस्पति की कीमत 43 प्रतिशत बढ़कर 136.74 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो पहले 95.5 रुपये प्रति किलोग्राम थी.

सूरजमुखी के मामले में, इसकी औसत खुदरा कीमत इस साल नौ अक्टूबर को 38.48 प्रतिशत बढ़कर 170.09 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 122.82 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि पाम तेल की कीमत 38 प्रतिशत बढ़कर 132.06 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई जो पहले 95.68 रुपये किलो थी. इंडोनेशिया और मलेशिया भारत को आरबीडी पामोलिन और कच्चे पाम तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं. देश मुख्य रूप से अर्जेंटीना से और उसके बाद ब्राजील से कच्चे सोयाबीन के तेल का आयात करता है, जबकि कच्चे सूरजमुखी तेल मुख्य रूप से यूक्रेन से आयात किया जाता है, इसके बाद रूस और अर्जेंटीना का स्थान आता है.

Video : रवीश कुमार का प्राइम टाइम : बढ़ती महंगाई ने बढ़ाई मुसीबत, लगातार बिगड़ रहा है घर का बजट

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Topics mentioned in this article