- जीएसटी काउंसिल ने लोकल ई-कॉमर्स डिलीवरी सर्विसेज को सीजीएसटी एक्ट की धारा 9(5) में शामिल किया है
- पहले फूड डिलीवरी ऐप्स को डिलीवरी फीस पर जीएसटी नहीं देना होता था, जो अब देना होगा
- अब फूड डिलीवरी ऐप्स को डिलीवरी फीस पर 18 प्रतिशत टैक्स देना अनिवार्य होगा
जीएसटी दरों में बदलाव के बाद कई सेक्टर्स के लिए कमाई के दरवाजे खुल गए हैं, टीवी-फ्रिज से लेकर छोटी कारें तक सस्ती होने जा रही हैं... लेकिन अगर आपको खाने-पीने का शौक है और आप ऑनलाइन ये सब ऑर्डर करते हैं तो आपकी जेब पर थोड़ा असर पड़ने वाला है. आइए समझते हैं कि जीएसटी में हुए रिफॉर्म का ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप्स पर क्या असर होगा और कैसे ये आपके लिए महंगा साबित हो सकता है.
लोगों की जेब पर पड़ेगा असर
कुछ वक्त पहले ही फूड डिलीवरी ऐप्स ने अपनी प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ाया था, जिसने उन लोगों की जेब पर असर डाला, जो रोजाना इन ऐप्स पर जाकर खाना ऑर्डर करते हैं. इसी बीच अब लोगों को एक और झटका लग सकता है, फूड डिलीवरी ऐप्स से सरकार अब जीएसटी वसूलेगी और अगर कंपनियों ने ये बोझ लोगों पर डाला तो घर आने वाला खाना थोड़ा और महंगा हो सकता है.
दरअसल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) काउंसिल की तरफ से लोकल ई-कॉमर्स डिलीवरी सर्विसेज को CGST एक्ट की धारा 9(5) के तहत लाया गया है. यह धारा सेवाओं की आपूर्ति पर टैक्स लगाने से संबंधित है. इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटर (ECO) इस आउटपुट टैक्स का भुगतान करेगा, यानी अब डिलीवरी फीस पर 18% GST लगेगा.
पहले क्या था नियम?
अब तक फूड डिलीवरी ऐप्स जैसे- ज़ोमैटो और स्विगी को डिलीवरी फीस पर GST नहीं देना होता था, इसे डिलीवरी पार्टनर को पास-थ्रू करना माना जाता था. यानी कंपनी इसे अपनी कमाई का हिस्सा नहीं बताती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. कंपनी इसे अपनी कमाई का हिस्सा माने या नहीं, उसे इस पर 18 परसेंट टैक्स देना होगा.
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कितना बढ़ेगा डिलीवरी चार्ज?
इनवेस्टमेंट फर्म मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में जोमैटो की फूड डिलीवरी सर्विस में कस्टमर डिलीवरी चार्ज ₹11-12 था, जो अब प्रति ऑर्डर ₹2 रुपये तक बढ़ सकता है. वहीं स्विगी के लिए डिलीवरी चार्ज करीब ₹14.5 प्रति ऑर्डर है, जिसमें प्रति ऑर्डर ₹2.6 का इजाफा हो सकता है.
ब्लिंकिट और जेप्टो जैसी कंपनियों का क्या?
फूड डिलीवरी ऐप्स के अलावा मार्केट में क्विक-कॉमर्स सेगमेंट भी है. जिसमें ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट और जेप्टो जैसे ऐप्स आते हैं. ब्लिंकिट डिलीवरी फीस को अपनी कमाई का हिस्सा मानता है, इसलिए पहले से ही इस पर जीएसटी लगता है, यानी इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वहीं बाकी ऐप्स पर डिलीवरी चार्ज या तो फ्री होता है या फिर दो या फिर चार रुपये तक लगता है, अब इस पर एक रुपये से भी कम का एक्स्ट्रा चार्ज लग सकता है.
कुल मिलाकर फूड डिलीवरी ऐप्स पर इस फैसले का असर पड़ने वाला है. अगर कंपनी इस चार्ज को खुद देती है तो उसे वित्तीय नुकसान होगा, वहीं अगर इसका बोझ कस्टमर्स पर डाला गया तो ऑर्डर में कमी आ सकती है. दोनों तरफ से कंपनी का ही नुकसान होगा.