India | गुरुवार जुलाई 11, 2013 08:41 PM IST 1995 में संसद ने दिल्ली रेंट कंट्रोल ऐक्ट पास किया। राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई, लेकिन सरकार लागू नहीं कर पाई क्योंकि कारोबारी और किराएदार इसके खिलाफ थे। नतीजा 1955 का कानून चलता रहा और औने−पौने किराए बने रहे, लेकिन कारोबारियों पर 1995 के पास कानून की तलवार भी लटकी हुई थी।