'कलवरी'

- 14 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Reported by: राजीव रंजन |मंगलवार जनवरी 23, 2024 09:25 AM IST
    कलवरी पनडुब्बी (Kalvari Class Submarine) करीब 67 मीटर लंबी और 21 मीटर ऊंची है. इसका वजन करीब डेढ़ हजार टन है. यह पानी के ऊपर 20 किलोमीटर प्रति घंटे और पानी के अंदर 37 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है.
  • India | Reported by: सुनील कुमार सिंह, Edited by: विवेक रस्तोगी |सोमवार जनवरी 23, 2023 12:58 PM IST
    कलवरी क्लास (यानी Scorpene Class) की पनडुब्बी 'वागीर' (INS Vagir) आज भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गई है. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार (Indian Navy chief Admiral R Hari Kumar) ने इसे बेड़े में शामिल किया, और इसे 'नया शिकारी' के नाम से पुकारा जा रहा है.
  • India | Reported by: सुनील कुमार सिंह, Edited by: रितु शर्मा |सोमवार जनवरी 23, 2023 10:05 AM IST
    अधिकारियों ने बताया कि भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण; मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से किया जा रहा है. कलवरी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है.
  • India | Reported by: सुनील कुमार सिंह, Edited by: अमनप्रीत कौर |बुधवार फ़रवरी 2, 2022 08:24 PM IST
    एमडीएल में चल रहे प्रोजेक्ट-75 स्कॉर्पीन कार्यक्रम की दो पनडुब्बियों - कलवरी और खंडेरी - को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है. तीसरी पनडुब्बी - करंज, कठोर समुद्री परीक्षण के अंतिम चरण में है.
  • India | Reported by: राजीव रंजन, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार नवम्बर 17, 2021 08:45 AM IST
    भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रुख के मद्देनजर तेजी से बदलते सुरक्षा माहौल से निपटने में अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए अगले सप्ताह तक एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी को शामिल करेगी.
  • Career | Reported by: भाषा |रविवार दिसम्बर 8, 2019 01:50 PM IST
    आठ दिसंबर की तारीख देश की हिफाजत में लगी सेनाओं के लिए खास अहमियत रखती है. दरअसल 8 दिसंबर 1967 को पहली पनडुब्बी ‘कलवरी’ को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और इसे 31 मार्च 1996 को 30 वर्ष की राष्ट्र सेवा के बाद नौसेना से रिटायर कर दिया गया. इसका नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया. इसके बाद विभिन्न श्रेणियों की बहुत सी पनडुब्बियां नौसेना का हिस्सा बनीं. फ्रांस के सहयोग से देश में ही निर्मित स्कार्पिन श्रेणी की आधुनिकतम पनडुब्बी को पिछले बरस नौसेना में शामिल किया गया और इसका नाम भी ‘कलवरी’ ही रखा गया है.
  • India | Reported by: एजेंसियां, Edited by: ऋतुराज त्रिपाठी |शनिवार सितम्बर 28, 2019 10:37 AM IST
    भारतीय नौसेना ने अपनी स्वदेश निर्मित कलवरी श्रेणी की दूसरी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी 'खंडेरी' को सेवा में शामिल किया. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पनडुब्बी को नौसेना में बेड़े में शामिल किया इसे आईएनएस खंडेरी के नाम से जाना जाएगा. नौसैना की पश्चिमी कमान के एक अधिकारी ने बताया था कि खंडेरी को सरकार संचालित मझगांव डॉक लिमिटेड में बनाया गया है और इसे ढाई साल से अधिक समय तक कई कठोर समुद्री परीक्षणों से गुजरना पड़ा. नौसेना की सभी चिंताओं का समाधान किया गया है. यह पनडुब्बी कई आधुनिक तकनीकों से लैस है.
  • India | Reported by: विष्णु सोम |शनिवार दिसम्बर 30, 2017 07:39 PM IST
    भारतीय नौसेना में इस साल सबमरीन ऑपरेशंस के पचासवें साल को गोल्डेन जुबली के तौर पर मनाया जा रहा है. पनडुब्बी ऑपरेशन के 50वीं वर्षगांठ पर भारतीय नौसेना ने भारत की सबसे घातक स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस कलवरी का फुटेज जारी किया है, जिसे परीक्षण के तौर पर समुद्र में तैनात कर दिया गया है. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में डिजाइन की गई आईएनएस कलवरी को भारतीय नौसेना को सौंपा था. बता दें कि इस पनडुब्बी को पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया का उत्तम उदाहरण बताया था.  
  • Mumbai | Reported by: राजीव रंजन, Written by: अरुण बिंजोला |गुरुवार दिसम्बर 14, 2017 01:06 PM IST
    पीएम मोदी ने कहा कि कलवरी से हमारी भारतीय सेना और भी मजबूत करेगी.उन्‍होंने कहा कि हिंद महासागर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लिए महत्वपूर्ण है. यह दुनिया के दो तिहाई ऑइल शिपमेंट्स का भार वहन करता है. उन्‍होंने कहा कि हिंद महासागर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लिए महत्वपूर्ण है.
  • Mumbai | Reported by: राजीव रंजन, Edited by: अरुण बिंजोला |गुरुवार दिसम्बर 14, 2017 01:08 PM IST
    पनडुब्बी की कमी से जूझ रही नौसेना के पास अभी दर्जनभर ही पनडुब्बी हैं जबकि चुनातियां काफी बड़ी हैं . 17 साल बाद नौसेना को मिलने वाला डीजल और बिजली से चलने वाला ये पनडुब्बी काफी घातक हैं.
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