India | गुरुवार मई 14, 2015 04:31 PM IST रिहाई के एक साल बाद आज भले ही मुफ्ती अब्दुल कयूम दोबारा मदरसे में पढ़ाने लगे हैं, लेकिन वह दुनिया को बताना चाहते हैं कि कैसा महसूस कराता है, एक ऐसे अपराध के लिए 11 साल जेल में बिताना, जो उन्होंने किया ही न हो; कैसा महसूस कराता है बिना किसी सबूत के आतंकवादी का लेबल लगा दिया जाना।