Blogs | कलिकेश नारायण सिंह देव |शुक्रवार नवम्बर 11, 2016 12:29 PM IST हमने ज़मीन-जायदाद के क्षेत्र में बोली लगाने के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था की स्थापना क्यों नहीं की, जैसा पश्चिमी देशों में होता है, बल्कि हमने तो ग्राहकों को दलालों और बिचौलियों के रहमोकरम पर छोड़ा हुआ है. नगदी के लेन-देन को खत्म कर देने की जगह हमने एक नियामक लाने का फैसला किया, जिसके आदेशों की पालना होने में सालों का वक्त लगना तय है, क्योंकि न्यायिक व्यवस्था पहले से ही ज़रूरत से ज़्यादा केसों के दबाव में है.