Blogs | सूर्यकांत पाठक |शनिवार जनवरी 14, 2017 05:36 PM IST दिल्ली का हिन्दी साहित्य जगत और राजधानी के विश्वविद्यालयों का हिन्दी शिक्षण जगत बीती सदी के उत्तरार्ध्द में कैसे बदलता गया, साहित्य जगत में किस तरह की राजनीति चलती रही और इसके समानांतर किस तरह रचनाकर्म, शोध जैसे कार्य होते रहे...यह सब गहराई से समझने के लिए निर्मला जैन की कृति 'जमाने में हम' बड़ी उपयोगी है. राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित यह कृति निर्मला जैन की आत्मकथा है.