Blogs | रवीश कुमार |शनिवार जुलाई 7, 2018 08:16 PM IST यह न तंज है और न व्यंग्य है. न ही स्लोगन बाज़ी के लिए बनाया गया सियासी व्यंजन है. रोज़गार के डेटा को लेकर काम करने वाले बहुत पहले से एक ठोस सिस्टम की मांग करते रहे हैं जहां रोज़गार से संबंधित डेटा का संग्रह होता रहा हो. लेकिन ऐसा नहीं है कि रोज़गार का कोई डेटा ही नहीं है.