MCD Election Result: आम आदमी पार्टी की जीत के क्या हैं मायने? पढ़ें 5 बड़ी बातें

दिल्ली नगर निगम (MCD) में आम आदमी पार्टी ने पिछले 15 साल से काबिज बीजेपी का पत्ता साफ कर दिया है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने यहां बहुमत से जीत दर्ज की है. स्टेट इलेक्शन कमीशन के मुताबिक 250 सीटों वाले MCD में AAP को 134 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से 8 ज्यादा हैं. वहीं,बीजेपी को 104, कांग्रेस को 9 और 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत हुई है. आइए जानते हैं आप की इस जीत के क्या हैं मायने...

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पहली बार है जब आम आदमी पार्टी ने किसी भी चुनाव में बीजेपी को हराया है.
नई दिल्ली:

दिल्ली नगर निगम (MCD) में आम आदमी पार्टी ने पिछले 15 साल से काबिज बीजेपी का पत्ता साफ कर दिया है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने यहां बहुमत से जीत दर्ज की है. स्टेट इलेक्शन कमीशन के मुताबिक 250 सीटों वाले MCD में AAP को 134 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से 8 ज्यादा हैं. वहीं,बीजेपी को 104, कांग्रेस को 9 और 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत हुई है. आइए जानते हैं आप की इस जीत के क्या हैं मायने...

  1. बीजेपी के खिलाफ पहली जीत: पहली बार है जब आम आदमी पार्टी ने किसी भी चुनाव में बीजेपी को हराया है. दिल्ली में उसकी जीत या तो कांग्रेस के खिलाफ रही है या फिर सत्ता में रहते हुए सिर्फ विश्वास मत हासिल करना ही रहा है. पंजाब में भी आप ने इस साल की शुरुआत में कांग्रेस के खिलाफ जीत हासिल की थी. इस शानदार जीत पर आप के मनीष सिसोदिया ने कहा, "इतनी छोटी पार्टी ने 'दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी' को हरा दिया है." संजय सिंह ने कहा, "बीजेपी हमेशा कहती थी कि आप ने केवल कांग्रेस को हराया है. आज अरविंद केजरीवाल ने उन्हें जवाब दे दिया है."
  2. समानांतर चुनाव: दिल्ली का चुनाव दो राज्यों में विधानसभा चुनावों के समानांतर लड़ा जा रहा था, जहां बीजेपी सत्ता में है. आप का नारा "केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का पार्षद" बीजेपी की "मोदी के डबल इंजन" के चुनावी लाइन को टक्कर देता है. दोनों पार्टियां अपने शीर्ष नेताओं के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही थीं.
  3. दिल्ली प्लस: अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों के नतीजे गुरुवार को आने वाले हैं. आप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में सेंध लगाने की भविष्यवाणी की है. अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि गुजरात में 15-20 फीसदी वोट जीतना उस पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी, जिसने पिछले महीने अपने अस्तित्व के 10 साल पूरे किए. हिमाचल में आप ने चुनावी कैंपन नहीं किया था. आप का फोकस गुजरात और एमसीडी इलेक्शन ही था.
  4. पीएम मोदी को निशाने पर लेना: गुजरात में अरविंद केजरीवाल को सीधे पीएम मोदी के खिलाफ खड़ा किया गया, जिन्होंने दो दर्जन से अधिक रैलियां कीं. यह एक दुर्लभ समय था कि केजरीवाल इस व्यक्तित्व की लड़ाई में उतरे. विशेष रूप से 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने सीधे पीएम मोदी के खिलाफ कैंपेन करना बंद कर दिया था. इस साल पंजाब की जीत के बाद आप अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं पर फिर से आगे बढ़ रही है. यहां तक कि आम आदमी पार्टी बीजेपी के मूल हिंदुत्व वोट को भी निशाना बना रही है. इसका मतलब यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव से बहुत अलग परिस्थितियों में आगे केजरीवाल बनाम मोदी मुकाबला अनिवार्य है. 
  5. सड़क पर जंग: दिल्ली में मोहल्ला स्तर पर आप की जीत का मतलब है कि उसके नियंत्रण में और काम हैं. इनमें कचरा-संग्रह मुख्य चुनावी मुद्दा था. प्राथमिक विद्यालयों की तरह सड़कों और स्ट्रीट लाइटों के बड़े हिस्से भी एमसीडी के अंतर्गत आते हैं. इसका मतलब है कि अरविंद केजरीवाल बड़ी लड़ाई से पहले अपने "शासन के दिल्ली मॉडल" के लिए और अधिक अंक जुटा सकते हैं. इसका मतलब आप और बीजेपी शासित केंद्र के बीच और भी तकरार देखने को मिल सकती है. 
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