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This Article is From Sep 22, 2017

Movie Review: चाह कर भी श्रद्धा कपूर नहीं बन पायी असली ‘हसीना पारकर’!

फिल्‍म की सबसे बड़ी खामी है श्रद्धा की एक्टिंग, खासतौर से उन हिस्सों में जहां पर वो कोर्ट में दिखाई देती हैं. श्रद्धा ने एक अजीब डायलॉग डिलिवरी का अंदाज़ पकड़ा है जो एक वक्त के बाद आपको नकली और उबाऊ लगने लगता है.

Movie Review: चाह कर भी श्रद्धा कपूर नहीं बन पायी असली  ‘हसीना पारकर’!
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
रिलीज़ हुई दाऊद की बहन पर फ़िल्म
अपूर्व लाखिया के निर्देशन में बनी फ़िल्म
कई जगह कमज़ोर पड़ती है श्रद्धा की एक्टिंग, हमारी तरफ से 2 स्‍टार
नई दिल्‍ली: रेटिंगः 2 स्टार
डायरेक्टरः अपूर्वा लाखिया
कलाकारः श्रद्धा कपूर, सिद्धांत कपूर और अंकुर भाटिया

दाऊद के भाई की गिरफ़्तारी के बाद उसकी बहन हसीना पारकर की ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म 'हसीना द क्वीन ऑफ़ मुंबई' रिलीज़ हो गई है. अपूर्व लाखिया के निर्देशन में बनी इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं हसीना पारकर बनीं श्रद्धा कपूर, दाऊद के रोल में उनके भाई सिद्धांत कपूर, हसीना के पति इब्राहिम पारकर बने अंकुर भाटिया. 'शूटआउट एट लोखंडवाला',  'एक अजनबी', 'जंजीर' जैसी फ़िल्मे बना चुके निर्देशक अपूर्व लाखिया की यह एक और अंडरवर्ल्‍ड पर बनी फिल्‍म है.   

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कहानी
फिल्‍म की कहानी की शुरूआत कोर्टरूम से होती है जहां हसीना पारकर (श्रद्धा कपूर) के ऊपर दर्ज केस के तहत सुनवाई हो रही है और इस दौरान फ़िल्म वर्तमान और बीते कल के बीच घूमती है. फिल्‍म में कोर्टरूम में हो रहे ड्रामे के आधार पर भारत के मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की जिंदगी और उसकी आपराधिक गतिविधियों को पेश करने की कोशिश की गई है. हसीना पर आरोप है कि वो अपने भाई के क्राइम सिंडिकेट और कारोबार को मुंबई में चलाती थी.
 
haseena

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फिल्‍म की खामियां
फिल्‍म की सबसे बड़ी खामी है श्रद्धा की एक्टिंग, खासतौर से उन हिस्सों में जहां पर वो कोर्ट में दिखाई देती हैं. श्रद्धा ने एक अजीब डायलॉग डिलिवरी का अंदाज़ पकड़ा है जो एक वक्त के बाद आपको नकली और उबाऊ लगने लगता है. फ़िल्म की दूसरी कमी है हसीना के किरदार का गुणगान. यहां पर एक बार फिर से उनके किरदार को लार्जर दैन लाइफ बनाया गया है. फ़िल्म की एक ख़ामी जो मुझे लगी वो है इसका ट्रीटमेंट जो कई जगह पर फ़िल्मी हो जाता है. दाऊद और हसीना से जुड़े कुछ मुद्दे जिन्हें लोग जानना चाहते हों उनको खुला छोड़ दिया गया है. एक और बात जो खलती है वो ये कि हसीना और उसके भाई दाऊद के क्रिमिनल बनने के पीछे उनके हालातों का हवाला दिया गया है. फिल्‍म का बैकग्राउंड स्कोर ड्रमाटिक है और गाने कहानी में बाधा डालते हैं.

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फिल्‍म की खूबियां
फ़िल्म की ख़ूबी ये हैं कि जो लोग हसीना पारकर की ज़िंदगी के बारे में नहीं जानते, ये कहानी उन्हें बांधे कर रख सकती है. दाऊद और उसकी बहन हसीना के बीच रिश्ते दर्शकों के लिए एक ऐसा पहलू है जिसे वो नहीं जानते. फिल्‍म में दाउद और हसीना पर लगे कई आरोपों पर कोई टिप्‍पणी नहीं की गई है. यहां उन आरोपों को न तो नकारा गया है न ही उनपर मुहर लगाई गई है. अभिनय की बात करें तो सिद्धांत का अभिनय अच्छा है. कोर्टरूम के बाहर के सीन्स में श्रद्धा ठीक लगी हैं. मेरी ओर से इस फ़िल्म को 2 स्टार.

VIDEO: 'हसीना पारकर' की टीम से विशेष बातचीत



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