
रानी मुखर्जी (फाइल फोटो)
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एक Teacher के संघर्ष की कहानी बयां करती है ‘हिचकी’
रानी मुखर्जी की कमबैक फिल्म है
चार साल बाद रानी मुखर्जी ने की है वापसी
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ये फ़िल्म आधारित है ब्रैड कोहेन की ज़िंदगी पर जो taurette सिंड्रोम होने के बावजूद एक टीचर बने. इस फ़िल्म में taurette के साथ साथ ये भी बताने की कोशिश की गई है कि गरीब और झुग्गी झोपड़ी के बच्चे भी अच्छा कर सकते हैं, बस ज़रूरत है उन्हें सही दिशा देने की. इन दोनों पहलुओं को फ़िल्म में अच्छे से पिरोया गया है. नैना माथुर के पढ़ाने और सिखाने के तरीक़े हमें तारे ज़मीन पर की याद दिलाते हैं. फ़िल्म के कई हिस्से दिल को छूते हैं और बीच-बीच मे थोड़ा ह्यूमर भी है जो फ़िल्म को भारी नहीं होने देता. फ़िल्म का निर्देशन अच्छा है और नैना माथुर के रोल में रानी मुखर्जी ने इंसाफ किया है.
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हिचकी की कमियों की अगर बात करें तो कहानी के बीच बीच में थोड़ा ड्रामा डाल दिया गया है जो मुझे थोड़ा अटपटा लगा. फ़िल्म अपने दूसरे भाग में खास तौर से थोड़ी खींची हुई लगी.
VIDEO: कमजोरी को ताकत बनाने का नाम है फिल्म 'हिचकी'
ये फ़िल्म आप एक बार देख सकते हैं, क्योंकि ये फ़िल्म taurette syndrome के बहाने ये कह रही है कि हर इंसान खास है. उसके सामने रोड़ा ना लटकाएं बल्कि उसकी सराहना करें. हिचकी के लिए मेरी रेटिंग है 3 स्टार है,
डायरेक्टरः सिद्धार्थ पी. शर्मा
कलाकारः रानी मुखर्जी
रेटिंगः 3 स्टार
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