'Save Aravali' के मुद्दे पर सियासत, बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ बोले- "विरोध के लिए काल्पनिक मुद्दा गढ़ा गया"

Rajasthan Politics: राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि गहलोत ने ‘सेव अरावली’ की बात कही, लेकिन राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष सहित कांग्रेस के बड़े नेताओं ने उनका साथ नहीं दिया.

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Rajendra rathore on Aravali Hills decision: अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर सियासत तेज हो गई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया. जयपुर स्थित बीजेपी ऑफिस में राठौड़ ने प्रेस काफ्रेंस की. उन्होंने कहा कि अरावली को नुकसान पहुंचाने का काम कांग्रेस शासन में हुआ, जबकि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार इसके संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. राजेंद्र राठौड़ ने कटाक्ष करते हुए कहा कि गहलोत ने ‘सेव अरावली' की डीपी तो लगाई, लेकिन राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष सहित कांग्रेस के बड़े नेताओं ने साथ नहीं दिया. इससे साफ है कि कांग्रेस पार्टी भी गहलोत के साथ नहीं है.  

"बीजेपी सरकार का काम कांग्रेस को रास नहीं आ रहा"

राजेंद्र सिंह राठौड़ ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राजस्थान सरकार अपने दो वर्षों का रिपोर्ट कार्ड लेकर 200 प्रगति रथों के माध्यम से प्रदेशभर में जा रही है, लेकिन प्रतिपक्ष को यह रास नहीं आ रहा. जमीन से जुड़े मुद्दे नहीं होने के कारण कांग्रेस काल्पनिक मुद्दे गढ़ रही है, जिनकी जननी वह स्वयं है.

राठौड़ ने कहा कि यह फैसला 20 नवंबर 2025 का है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 4 राज्यों और केंद्र सरकार को अरावली संरक्षण के लिए समान मापदंड तय करने के निर्देश दिए हैं. 100 मीटर ऊंचाई को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम पूरी तरह तथ्यहीन है. फैसले में स्पष्ट है कि अरावली से जुड़े जिलों में यदि कोई भू-भाग 100 मीटर से अधिक ऊंचा है, तो उसे अरावली माना जाएगा. 

साल 2002 में गहलोत ने खुद मांगी थी अनुमति

राठौड़ ने आरोप लगाया, "खुद अशोक गहलोत ने उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान 100 मीटर ऊंचाई को लेकर वैधानिक स्वीकृति मांगी थी. उसी शपथ पत्र के आधार पर अलग-अलग कालखंडों में करीब 1008 खनन पट्टे जारी किए गए." राठौड़ ने तंज कसते हुए कहा कि  गहलोत अब अपने ही कर्मों को ढकने के लिए अरावली बचाने का नारा दे रहे हैं. यह वही स्थिति है कि 900 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली.

फॉरेस्ट लैंड में नहीं मिलेगी खनन की अनुमति- राठौड़

पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अरावली क्षेत्र में फॉरेस्ट लैंड और वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं, जहां खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती. अरावली मरुस्थल के फैलाव को रोकती है. इसमें नाहरगढ़, कुंभलगढ़ जैसे ऐतिहासिक किले और प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं. केंद्र सरकार कार्बन क्रेडिट के माध्यम से अरावली को हराभरा करने के प्रयास कर रही है और राज्य सरकार भी संरक्षण के लिए कटिबद्ध है. 

राठौड़ ने कहा कि जब से भाजपा सरकार बनी है, अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. अब तक 19,741 मामलों में जब्ती की गई और 2,828 एफआईआर दर्ज की गई हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि अरावली क्षेत्र का केवल करीब 1 से 1.9 प्रतिशत हिस्सा ही खनन श्रेणी में आता है, शेष क्षेत्र पूरी तरह संरक्षित है.

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