- राजस्थान के टोंक जिले के दूनी गांव में दूणजा माता देवी को शराब का भोग लगाया जाता है.
- इस मंदिर का इतिहास लगभग 900 साल पुराना है और यह गुरु द्रोणाचार्य की तपस्या से जुड़ा माना जाता है.
- भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर शराब की बोतल लेकर आते हैं और पुजारी के माध्यम से माता को शराब चढ़ाते हैं.
नवरात्रि चल रहे हैं. इस दौरान कई जगहों पर शराब की दुकानें बंद करने की मांग उठ रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है, जहां देवी मां को भोग में शराब चढ़ाई जाती है. यहां देवी सुरापान करती हैं. इस दौरान पूरा मंदिर भक्तों के जयकारों से गूंज उठता है. राजस्थान का यह दूणजा माता मंदिर (Tonk Dunja Mata Temple) बहुत ही प्राचीन है. मान्यता है कि इसी जगह पर गुरु द्रोणाचार्य ने कभी तपस्या की थी. वैसे तो सालभर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. लेकिन नवरात्रों में 9 दिनों तक यहां का नजारा अलग ही होता है.
चमत्कारी दूणजा माता को लगता है शराब का भोग
दूणजा माता का यह मंदिर टोंक जिले के दूनी गांव में है. यहां माता को शराब का भोग लगाया जाता है. मां की प्रतिमा से अलग लाल फूल गिर जाए तो समझिए कि भक्त की हर मुराद देवी पूरी कर देंगी. लोगों का मानना है कि दूणजा माता मंदिर में सालों से चमत्कार होता आया है. यही वजह है कि बड़ी तादात में भक्त यहां अपनी मुराद लेकर पहुंचते हैं. सुरापान करने वाली दूणजा माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है.
माता को ऐसे चढ़ाई जाती है शराब
इस प्राचीन मंदिर में भक्त अपनी अर्जी पूरी होने के बाद शराब की बोतल लेकर पहुंचते हैं. मंदिर में पुजारी के हाथों पीपल के पत्ते के सहारे माता जी के मुंह पर शराब की धार लगाई जाती है. मान्यता है कि दूणजा माता की चमत्कारी प्रतिमा शराब का भोग ग्रहण करने लगती है. यह परंपरा यहां सालों से चली आ रही है.
दूणजा माता का मंदिर टोंक जिले के दूनी गांव में प्राचीन तालाब के किनारे मौजूद है. इस मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्रों में भक्तों की भीड़ भारी संख्या में उमड़ती है. इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी होने के साथ ही यहां चमत्कार भी देखने को मिलते हैं. यह मंदिर सुरापान करने वाली दूणजा माता जी के नाम से प्रसिद्ध है.
मंदिर का 900 साल से ज्यादा पुराना इतिहास
मंदिर ट्रस्ट के सत्यनारायण शर्मा बताते हैं कि यहां बारह महीने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. यह प्राचीन दूणजा माता मंदिर का इतिहास महर्षि द्रोणचार्य की साधना-तपोबल से जुड़ा हुआ है. दूनी कस्बे का नाम पहले द्रोणनगरी था. इस प्राचीन मंदिर का इतिहास करीब 900 साल से ज्यादा पुराना है. इस मंदिर में चार फिट की दूणजा माता की प्रतिमा स्थापित है.
खुद अवतरित हुई थी मां की प्रतिमा
लोक कथाओं के अुनसार माता स्वयं पाषाण की प्रतिमा में परिवर्तित हुई थीं. इस मंदिर के चमत्कार को देखकर अंग्रेज अफसरों ने माता के मंदिर में प्रतिमा के सुरापान की जांच के लिए खुदाई करवाई थी, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला. दूणजा माता मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भंवरलाल जाट के अनुसार मंदिर के चढ़ावे की राशि से मंदिर के विकास के प्रयास लगातार जारी हैं. जिसके चलते अब धर्मशाला और बरामदों का निर्माण किया जा रहा है.
टोंक जिले का यह प्राचीन मंदिर सैकड़ों सालो से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां तक कि गांवों के झूठ सच से जुड़े कई मामलों को लेकर भी लोग कहते है कि तू सच्चा है तो माता के दरबार में चलकर कसम खा. माना जाता है कि झूठ बोलने वाले और अन्यायी को माता रानी खुद दंड देती हैं.