डेढ़ साल के मासूम का इलाज करवाने मथुरा गया था राजस्थान का किसान, सर्जरी के बहाने हॉस्पिटल में निकाली किडनी; 15 लोगों पर FIR

राजस्थान के डीग में एक किसान के बेटे का इलाज कराने गए अस्पताल में किडनी निकालने का आरोप लगा है. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की, जबकि अस्पताल प्रबंधन चुप है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

Rajasthan News: राजस्थान के डीग जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सबको चौंका दिया है. एक गरीब किसान के छोटे बेटे का इलाज कराने गए अस्पताल में किडनी निकाल लेने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. यह घटना मथुरा के एक बड़े मेडिकल कॉलेज से जुड़ी है जहां डॉक्टरों पर मानव अंगों के अवैध व्यापार का शक जताया जा रहा है. पीड़ित परिवार की आपबीती सुनकर हर कोई हैरान है और चिकित्सा क्षेत्र की साख पर बड़ा सवाल उठ रहा है.

बच्चे की बीमारी और अस्पताल का दौरा

डीग जिले की पहाड़ी तहसील के कैथवाड़ा गांव में रहने वाले किसान भीम सिंह को अपने डेढ़ साल के बेटे मयंक के पेट में गांठ की शिकायत हुई.

वे इलाज के लिए 31 मई 2024 को बच्चे को मथुरा के कांता देवी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ले गए. डॉक्टरों ने गांठ निकालने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी और सर्जरी की. लेकिन ऑपरेशन के बाद जो हुआ उसने परिवार को सदमे में डाल दिया.

चौंकाने वाला खुलासा, किडनी गायब

ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद बच्चे की हालत बिगड़ने लगी. भीम सिंह ने जयपुर के अस्पतालों में दोबारा जांच कराई तो पता चला कि मयंक की बाईं किडनी ही गायब है. साथ ही संक्रमण भी फैल चुका था.

भीम सिंह का कहना है कि डॉक्टरों ने गांठ निकालने के नाम पर किडनी चुरा ली. जब उन्होंने अस्पताल में पूछताछ की तो उन्हें डराया-धमकाया गया. यह सुनकर परिवार पूरी तरह टूट गया और उन्होंने न्याय की गुहार लगाई.

पुलिस में शिकायत और एफआईआर

भीम सिंह ने छाता थाने में शिकायत दर्ज कराई. शुरू में पुलिस ने मामला दर्ज करने में आनाकानी की लेकिन न्यायालय के हस्तक्षेप और धारा 173(4) बीएनएसएस के तहत दिए प्रार्थना पत्र के बाद एफआईआर हो सकी. अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. पुष्पेंद्र समेत डॉ. श्यामबिहारी शर्मा डॉ. समर्थ डॉ. आशीष डॉ. निश्चेतना डॉ. दीपक अग्रवाल डॉ. शालिनी और कांता देवी मेडिकल कॉलेज (अकबरपुर मथुरा) पर आरोप लगे.

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इसके अलावा 5-6 अज्ञात लोगों के नाम भी शामिल हैं. पुलिस ने भारतीय नवीन दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 143 यानी गैरकानूनी जनसमूह और मानव अंग तथा ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम 1994 की धारा 18 व 19 के तहत केस दर्ज किया. ये धाराएं अंगों के गैरकानूनी व्यापार और बिना सहमति अंग निकालने से जुड़ी हैं.

अस्पताल का काला इतिहास

मथुरा का यह केडी अस्पताल पहले भी विवादों में घिर चुका है. कोरोना महामारी के दौरान मृतकों के शवों से जुड़े कई आरोप लगे थे. अब इस नई घटना ने ब्रज क्षेत्र और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में हड़कंप मचा दिया है. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और अधिकारियों का कहना है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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