लकड़ी काटने का आरोप, 53 साल बाद 7 महिलाओं की गिरफ्तारी, जानें पूरा मामला

राजस्थान में 2 जून की रोटी के लिए महिलाओं को पुलिस तक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. बूंदी पुलिस ने लकड़ी काटने के आरोप में 53 साल बाद 7 बुजुर्ग महिलाओं को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश किया. जिसके बाद कोर्ट ने उनका बयान दर्ज कर 500 रुपये के मुचलके पर उन्हें रिहा कर दिया.

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53 साल बाद 7 बुजुर्ग महिलाएं गिरफ्तार
बूंदी:

राजस्थान स्थित बूंदी पुलिस ने लकड़ी काटने के आरोप में 53 साल बाद 7 बुजुर्ग महिलाओं को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश किया है. इन महिलाओं पर आरोप है कि 53 साल पहले यानी साल 1971 में युवा अवस्था के दौरान इन महिलाओं ने जंगल से अपने घर में खाना बनाने के लिए कुछ लकड़ियां कांटी थी. उस समय जिले के हिण्डोली वन क्षेत्र में तैनात अधिकारियों ने करीब 12 महिलाओं के खिलाफ हिण्डोली थाने में मामला दर्ज करवाया था. तब से लेकर अब तक यह महिलाएं पुलिस कार्रवाई से दूर थीं, जिसके चलते पुलिस ने मामले में कार्रवाई करने में 53 साल का वक्त लगा दिया. 

वहीं, 12 महिलाओं में से 3 महिलाओं की मौत हो चुकी है. पुलिस ने मामले में 7 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया है और 2 अन्य महिलाएं फरार हैं जिनकी तलाश जारी है. जब कोर्ट में महिलाओं को पेश किया गया तो इन बुजुर्ग महिलाओं को देखकर हर कोई हैरान रह गया क्योंकि कोई महिला अपने बेटे के सहारे तो कोई बैसाखी के सहारे कोर्ट में पेश होने पहुंची थीं. जहां कोर्ट ने भी बयान लेकर सभी महिलाओं को 500-500 रुपये के मुचलके के बाद उन्हें रिहा कर दिया.

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महिलाओं का परिवार इस कार्रवाई से नाराज था, उनका कहना था कि लकड़ी काटने वाले उनके परिवार के ही नहीं बल्कि अन्य लोग भी हैं जो आज भी लकड़ी काटते हैं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं करता.

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महिलाएं बोलीं, लकड़ी नहीं लाते तो खाना कैसे बनाते

कोर्ट में पेश होने आई मोतीबाई ने कहा कि हम हमारे घर में खाना बनाने के लिए लकड़ियां लाते थे. हमें नहीं पता था कि आज हमें पुलिस पकड़कर ले जाएगी. लकड़ी काटने के दौरान वन विभाग के अधिकारी हमारा रजिस्टर में हमारा नाम लिख लेते थे. अगर हम हम लकड़ियां नहीं लाते तो हमारे घर पर खाना नहीं बन पाता. इसलिए लकड़ी काटना हमारी मजबूरी थी. 

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रिहाई के लिए 500 रुपये देना भी मुश्किल

यह सभी महिलाएं गरीब परिवार से आती हैं. ये सभी भले ही हिंडोली वन क्षेत्र की महिलाएं थीं लेकिन शादी के बाद यह अलग-अलग इलाकों में चली गई थीं. बूंदी पुलिस भी इन महिलाओं को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार कर बूंदी लाई है. वहीं, इन महिलाओं ने कभी नहीं सोचा था कि लकड़ियां काटने के चक्कर में उन्हें पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने पड़ेंगे. जैसे ही कोर्ट ने 500 रुपये के मुचलके पर इन महिलाओं को रिहा किया तो 500 रुपये का चालान भरने तक के लिए भी उन्हें इधर-उधर देखना पड़ा, क्योंकि उनके लिए 500 रुपये देना आसान नहीं था. मजदूर महिलाओं की माने तो इन 500 रुपये से 2 से 3 दिन तक का घर खर्ज निकल सकता था.

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पुलिस बोली, 53 साल बाद मामले का निस्तारण

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक किशोरी लाल ने बताया कि बूंदी पुलिस की जिला विशेष शाखा द्वारा 53 साल से फरार 7 महिला स्थाई वारंटियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. पुलिस द्वारा सभी को न्यायालय में पेश किया गया. जहां से उन्हें न्यायालय द्वारा 500-500 रुपये के मुचलके पर रिहा कर दिया गया. यह मामला करीब 53 साल पहले का बताया गया है. उस समय करीब 10 युवतियां जंगल में लकड़ियां लेने गई थीं. तब वन विभाग कर्मियों ने इन्हें लकड़ियों के साथ पकड़ लिया था. उसके बाद वन विभाग द्वारा न्यायालय में मामले में चालान पेश किया गया था. 

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वन विभाग पर उठे सवाल, कब होंगे माफियां गिरफ्तार

अब सवाल खड़ा होता है कि मामला दर्ज हुआ तो भले ही पुलिस ने 53 साल बाद इन महिलाओं को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया और मामले का निस्तारण किया, लेकिन क्या वन विभाग आज भी जंगल में हो रही अन्य गतिविधियों पर लगाम लगा पा रहा है? क्योंकि ग्रामीण परिवेश में आज भी जंगल से लकड़ियां काटने की घटनाएं आम हो चली हैं. यदि वन विभाग इन महिलाओं की जगह पर अन्य माफियाओं पर मुकदमा दर्ज करवाता तो हो सकता था कि इनकी जगह आज पुलिस हिरासत में माफियां होते.
 

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