पंजाब मंत्रिमंडल ने ‘लैंड पूलिंग’ नीति में संशोधन को मंजूरी दी, जानें इस योजना के बारे में

सीएम भगवंत मान ने विपक्ष के इस आरोप का खंडन किया कि यह योजना किसानों से उनकी जमीन छीन लेगी और दावा किया कि कृषक समुदाय को यह नीति ‘पसंद’ आ रही है.

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पंजाब मंत्रिमंडल ने मंगलवार को ‘लैंड पूलिंग' नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी तथा मुख्यमंत्री भगवंत मान ने योजना के खिलाफ कथित दुष्प्रचार करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की. मान ने विपक्ष के इस आरोप का खंडन किया कि यह योजना किसानों से उनकी जमीन छीन लेगी और दावा किया कि कृषक समुदाय को यह नीति ‘पसंद' आ रही है. पंजाब मंत्रिमंडल ने पिछले महीने ‘लैंड पूलिंग' नीति को मंजूरी दी थी और तब कहा था कि भूमि मालिकों से एक गज भी जमीन जबरन अधिग्रहित नहीं की जाएगी. यहां कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मान ने कहा कि विपक्षी दलों का यह दावा निराधार है कि भूमि को लेकर अधिसूचना जारी होने के बाद जमीन की रजिस्ट्री नहीं होगी.

जानें क्या है लैंड पूलिंग योजना

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उदाहरण के लिए यदि 140 एकड़ भूमि पर शहरी संपदा विकसित की जानी है और 15 एकड़ भूमि के मालिक इसके लिए अपनी जमीन नहीं देते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसान (जिनके पास 15 एकड़ जमीन है, वह) ऋण नहीं ले सकते या अपनी जमीन गिरवी नहीं रख सकते.  मान ने कहा कि जब तक भूमि पर शहरी विकास कार्य शुरू नहीं हो जाता, तब तक ‘लैंड पूलिंग' योजना का विकल्प चुनने वाले किसान उस पर खेती कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रति एकड़ 50,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा भूमि पर कब्जा लेने के बाद किसानों को प्रति एकड़ एक लाख रुपये मिलेंगे.

आप की ऐतिहासिक नीति

मान ने किसानों के सुझावों के बाद नीति में किए गए संशोधनों का जिक्र करते हुए कहा कि यदि भूमि विकास में एक वर्ष से अधिक समय लगता है, तो किसानों को हर साल (एक लाख रुपये की) राशि में 10 प्रतिशत की वृद्धि मिलेगी. मान ने ‘लैंड पूलिंग' नीति को आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार की ऐतिहासिक नीति बताया और कहा कि यह ऐसी नीति है जिसमें किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि बल्कि, वे (किसान) इस योजना के भागीदार बन रहे हैं. उन्हें यह नीति पसंद आ रही है. राज्य सरकार ने पहले कहा था कि लैंड पूलिंग नीति के तहत, भूमि मालिक को एक एकड़ भूमि के बदले में 1,000 वर्ग गज का आवासीय भूखंड और पूरी तरह से विकसित भूमि में 200 वर्ग गज का व्यावसायिक भूखंड दिया जाएगा.

मान ने कहा कि यदि कोई किसान 200 वर्ग गज का व्यावसायिक प्लॉट नहीं लेना चाहता है तो उसे 600 वर्ग गज का अतिरिक्त आवासीय भूखंड दिया जाएगा. मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने कहा कि किसान आशय पत्र के आधार पर ऋण प्राप्त कर सकेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को कोई वित्तीय नुकसान नहीं होगा. ‘आप' सरकार विपक्षी दलों की आलोचना का सामना कर रही है, जिन्होंने ‘लैंड पूलिंग' नीति को किसानों की ज़मीन "लूटने" की एक "लूट" योजना करार दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा समेत कई किसान संगठनों ने भी इस योजना का विरोध किया है. पिछले महीने नीति को मंजूरी देने के बाद मान ने कहा था कि इसे राज्य भर में पारदर्शी और योजनाबद्ध शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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