केंद्रीय कृषि मंत्रालय जलवायु परिवर्तन से लड़ने की एक योजना पर काम कर रहा है. इसके लिए देश के 50 हजार गांवों का चयन किया गया है.ये जलवायु के नजरिए से संवेदनशील जिलों में हैं.इन गांवों में ऐसी खेती करने की योजना है, जो जलवायु संकट से पैदा हुए हालात का सामना कर सकें. एक अनुमान है कि जलवायु संकट की वजह से कृषि से होने वाली आय में 15 से 20 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है.
केंद्र सरकार की क्या है योजना
यह पहल जलवायु अनुकूल कृषि पर आधारित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा है. इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय अपने 100 दिन के एजेंडे के हिस्से के रूप में शुरू करने की योजना बना रहा है. इस आशय के प्रस्ताव को जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल सकती है.
एक सूत्र ने अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस'को बताया कि मंत्रालय इन 50 हजार गांवों में जलवायु-लचीली फसल किस्मों को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है. उनका कहना था कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने खाद्य उत्पादन में सुधार के लिए दो हजार से अधिक ऐसी किस्में विकसित की हैं.
हालांकि इस योजना की रूपरेखा अभी भी तैयार की जा रही है,लेकिन यह पता चला है कि ढांचे में कम पानी की खपत वाली फसलों को बढ़ावा देने,संबंधित क्षेत्रों में जल स्रोतों के संरक्षण और उर्वरकों की निगरानी जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं.
देश के कितने जिलों में चलेगी योजना
सूत्र ने कहा कि अधिकारी 310 जिलों से 50 हजार ऐसे गांवों का चयन करेंगे जिनकी पहचान पहले से ही जलवायु के नजरिए से संवेदनशील के रूप में की गई है. ये 310 जिले देश के 27 राज्यों में हैं. इनमें सबसे अधिक जिले 48 जिले उत्तर प्रदेश के और 27 जिले राजस्थान के हैं. यह पहल पहले पांच साल तक चलेगी. इस योजना की अधिकांश फंडिंग मौजूदा समय में चल रही योजनाओं के जरिए ही आएगी.
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