साजिश की बू आ... जेल में बंद इस अलगाववादी नेता के टक्कर देने पर बोले उमर अब्दुल्ला

Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: बरकती को पहली बार साल 2016 में गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ. उनको पिछले साल फिर से गिरफ्तार किया गया था. वह फिलहाल जेल में बंद हैं

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Jammu-Kashmir Elections 2024: उमर अब्दुल्ला और सर्जन बरकती
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव (Jammu-Kashmir Elections) नजदीक आते ही घाटी के सभी दल पूरी तरह से एक्टिव हो गए हैं. घाटी में18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस चुनाव जेल में बंद और अलगाववादी नेता भी क्षेत्रीय दलों को टक्कर देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.  जेल में बंद अलगाववादी नेता सर्जन अहमद गांदरबल से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला को टक्कर देने की तैयारी में हैं. उन्होंने दो विधानसभा क्षेत्रों- गांदरबल और बीरवाह से नामांकन पत्र दाखिल किया है. 

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अलगाववादियों से उमर को क्या डर?

हालांकि, उमर का आरोप है कि बीजेपी और केंद्र सरकार जेल में बंद अलगाववादियों को उनके खिलाफ खड़ा कर रही है, ताकि उनको चुनाव में शिकस्त दी जा सके. उमर 2024 के लोकसभा चुनाव में आतंकी फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर राशिद से भी हार गए थे. अब उनको विधानसभा चुनाव में भी हार का डर सता रहा है. उमर का कहना है, "दिल्ली में नेता मुझे नापसंद करते हैं, वह  मुझसे बहुत नफरत करते हैं, ये साफ हो गया है. जेल में बंद उम्मीदवार सिर्फ मेरे खिलाफ ही क्यों चुनाव लड़ रहे हैं."

बीजेपी पर बड़ी साजिश का आरोप

उमर का कहना है कि उनको अब लोकसभा चुनाव में इंजीनियर रशीद के हाथों हारी बारामूला सीट पर भी शक हो रहा है. उन्होंने कहा, "मैंने इंजीनियर राशिद की जीत में कभी कोई साजिश नहीं देखी, वह पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जब सार्जन बरकती के गांदरबल से चुनाव लड़ने की खबर आई, तो मुझे साजिश नजर आ रही है." उमर का कहना है कि कुछ एजेंसियों को लगा कि वह बीरवाह से भी चुनाव लड़ सकते हैं, उन्होंने पिछली बार यहां से जीत हासिल की थी. बरकती ने पहले गांदरबल और फिर बीरवाह से चुनाव लड़ने का ऐलान किया.लेकिन उनके कयासों को दरकिनार कर उन्होंने बीरवाह के बजाय बडगाम से नामांकन दाखिल कर दिया.

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कौन हैं सर्जन बरकती?

सर्जन बरकती जम्मू-कश्मीर में 'फ्रीडम चाचा' के नाम से मशहूर हैं. वह साल 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद कश्मीर में हुए हिंसक आंदोलन का चेहरा रह चुके हैं. उन्होंने अपने भाषणों में खुलेआम युवाओं को बंदूक उठाने और उन्हें आत्मघाती हमलावर बनने के लिए उकसाया था.  उनका कहना था कि बंदूकें ही एकमात्र समाधान हैं. उन्होंने भारत के सिंबल्स पर हमले के लिए भी युवाओं को उकसाया था. 

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बरकती को पहली बार साल 2016 में गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ. उनको पिछले साल फिर से गिरफ्तार किया गया था. वह फिलहाल जेल में बंद हैं और UAPA के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनकी पत्नी भी टेरर फंडिंग के आरोप में जेल में बंद हैं.

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