नीरज चोपड़ा के पूर्व जर्मन कोच ने बनाया है 100 मीटर से ज्यादा दूर तक भाला फेंकने का रिकॉर्ड, जानें सबकुछ

जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने ने टोक्यो ओलंपिक में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास लिख दिया है

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नीरज की सफलता में जर्मनी कोच का भी अहम योगदान

भारत को एशलेटिक्स में पहली बार मेडल दिलाने वाले जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने वापस अपने देश पहुंचकर मीडिया से बात की और पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया. सवालों-जवाबों के सिलिसिले में नीरज ने कहा कि शुरूआत में ट्रेनिंग अपनी ओर से तो करता था लेकिन उस समय हमारे पास थ्रो करने के लिए अच्छे जेवलिन नहीं होते थे, साई कैंप में आने के बाद मेरे ट्रेनिंग में बदलाव आया और काफी कुछ सीखने का मौका मिला. धीरे-धीरे सुविधाएं मिलने लगी. नीरज ने कहा कि ओलंपिक में मेडल जीतना उनका सपना था. जब भी मैं किसी को गोल्ड मेडल जीतते हुए देखता था तो मेरे लिए भी मेडल जीतने की उत्सुकता बढ़ने लग जाती थी. बता दें कि पहली बार किसी भारतीय एथलीट ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का कमाल किया है. नीरज ने फाइनल में दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर दूर भाला फेंककर अपने लिए गोल्ड मेडल पक्का किया. इस ऐतिहासिक कारनामें ने नीरज सभी का चहेता बना दिया है. जेवलिन थ्रोअर में सफल होने के पीछे यकीनन नीरज की कड़ी मेहनत है. इसके अलावा ओलंपिक में जाने से पहले उन्होंने जिस तरह की ट्रेनिंग की थी उसने ही उन्हें टोक्यो ओलंपिक में विजेता बनाया है. 

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नीरज की सफलता में जर्मनी कोच का भी रहा  अहम योगदान
बता दें कि ओलंपिक में जाने से पहले नीरज को जर्मनी को दिग्गज और महान जेवलिन थ्रोअर उवे हॉन (Uwe Hohn) का साथ मिला था. 59 साल के जर्मनी के ये पूर्व महान खिलाड़ी का नीरज से जुड़ना ऐतिहासिक कहानी को तैयार करने के लिए काफी थी. बता दें कि उवे हॉर्न अपने समय में एक दिग्गज जेवलिन थ्रोअर रह चुके हैं. अपने जमाने में उवे ने 100 मीटर दूर भाला फेंकने का कारनामा किया है.

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59 वर्षीय हॉन एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिनके भाले ने 100 मीटर का आंकड़ा पार किया है. 1984 में हॉन ने 104.8 मीटर दूर भाला फेंक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. 1984 में, हॉन ने बर्लिन में 104.8 मीटर थ्रो भाला फेंककर रिकॉर्ड बनाया था. भले ही हॉर्न ने अपने समय में यह रिकॉर्ड पुराने भाले से बनाया था. इस कारनामें के बाद 1986 में जेवलिन थ्रो इवेंट नए डिजाइन के भाले से किया जाने लगा. बात करें नए डिजाइन वाले भाले से जेवलिन थ्रो में वर्ल्ड रिकॉर्ड साल 1996 में जर्मनी में जेस्स मीटिंग इवेंट में जैन जेलेगनी ने 98.48 मीटर भाला फेंककर बनाया 

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ओलंपिक मेडल से चूक गए थे हॉर्न
साल 1984 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में हॉर्न भाग लेने से चूक गए थे. दरअअसल उस समय पूर्वी जर्मनी ने अमेरिका के विरोध में ओलंपिक खेलों का बहिष्कार कर दिया था. जिसके कारण हॉर्वन ओलंपिक में शामिल नहीं हो पाए थे. अपने एक पुराने इंटरव्यू में हॉ़र्न ने कहा कि मैं बिना गलती से ओलंपिक में मेडल नहीं जीत सका, यदि मुझे यकीनन ओलंपिक में मौका मिलता तो मैं गोल्ड मेडल जीत सकता था. बता दें कि टोक्यो ओलंपिक के लिए हॉन के अलावा, बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ क्लाउस बार्टोनिट्ज़ ने भी टोक्यो ओलंपिक के दौरा नीरज चोपड़ा के साथ काम किया था और सभी की एफर्ट से भारत को एथलेटिक्स में पहली बार मेडल मिला.

ओलंपिक से ठीक पहले छोड़ दिया था साथ
भारतीय एथलेटिक्स संघ और भारतीय खेल प्राधिकरण से अनबन के बाद जर्मन कोच नीरज से जून में अलग हो गए थे. इस समय वो आस्ट्रेलिया की महिला भाला फेंक टीम को को कोचिंग दे रहे हैं. बता दें कि भले ही हॉर्न ओलंपिक में नीरज के साथ नहीं थे लेकिन उन्होंने अपने 3 साल के समय के दौरान नीरज को भाल फेंक में कई तकनीक सीखाई, जिसके बाद से भारतीय गोल्ड मेडलिस्ट जेवलिन थ्रो में चैंपियन बनने की की ओर अग्रसर हुए थे. 

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