ग्लासगो में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में दीपिका पल्लीकल (Dipika Pallikal Karthik) और सौरव घोषाल (Saurav Ghoshal) की जोड़ी ने इंग्लैंड के एड्रियन वॉलर और एलिसन वॉटर्स को हराकर WSF World Doubles Championships में भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीत लिया है. बड़ी बात ये भी रही कि मिक्स्ड डबल्स फ़ाइनल के करीब डेढ़ घंटे बाद दीपिका ने अपनी पुरानी पार्टनर Joshna Chinappa (जोशना चिनप्पा) के साथ महिला डबल्स का ख़िताब भी जीत लिया. एनडीटीवी इंडिया के स्पोर्ट्स एडिटर विमल मोहन के साथ एक ख़ास बातचीत में साइरस ने कहा कि भारतीय squash लिए ये गेम चेंजर साबित हो सकता है.
सवाल: क्या भारतीय स्क्वैश की इसे सबसे बड़ी जीत कहेंगे?
साइरस पोंचा: यकीनन. वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में दो गोल्ड मेडल जीतना बहुत बड़ी बात है. इससे पहले भारत के नाम कॉमनवेल्थ गेम्स का गोल्ड ज़रूर है. लेकिन वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में भारत को पहली बार जीत हासिल हुई है. ये भारतीय स्क्वैश की अब तक की सबसे बड़ी जीत है, इसमें कोई दो राय नहीं है.
सवाल: इसे आप भारतीय खेलों की किन बड़ी जीतों की तरह देखते हैं?
साइरस पोंचा: ओह....वर्ल्ड चैंपियनशिप तो वर्ल्ड चैंपियनशिप है. हाल में हमारे खिलाड़ियों ने बैडमिंटन और टेनिस में वर्ल्ड स्तर पर ख़िताब जीते हैं. वर्ल्ड नंबर 1 दिग्गज खिलाड़ी महेश भूपति और लिएंडर ने भी वर्ल्ड स्तर पर ख़िताब जीते. वर्ल्ड लेवल पर जीत हासिल करना किसी भी खेल में बेहद ख़ास है.
सवाल: ख़ासकर इंग्लैंड को फ़ाइनल में हराना ज़रूर ख़ास होगा? दीपिका ने मां बनने के बाद सुपरकमबैक किया है. उनकी जीत की भूख कमाल की लगती है...
साइरस पोंचा: उनमें हमेशा से जीत के लिए एक ललक रही है. वो वर्ल्ड के टॉप लेवल पर जीतना चाहती रही हैं. 2018 के बाद उन्होंने ज़बरदस्त वापसी की है. ख़ासकर मां बनने के 6 महीने बाद वापसी शानदार है. उन्होंने कमाल का जज़्बा दिखाया है. स्कैवश जैसे खेल में इंग्लैंड, इजिप्ट या ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देशों को हराकर ख़िताब जीतना और भी बड़ी बात है. स्क्वैश के खेल में ये बड़े देश माने जाते हैं.
सवाल: आप बता रहे थे कि भारत में स्क्वैश के डबल्स के लिए सुवाधाएं नहीं हैं ?
साइरस पोंचा: बिल्कुल...स्क्वैश के डबल्स के लिए भारत में ज़्यादा कोर्ट नहीं हैं. साल 2000 में एन रामचंद्रन (Squash Rackets Federation of India (SRFI) patron and former Indian Olympic Association (IOA) president) ने चेन्नई में डबल्स कोर्ट की सुविधा के साथ स्क्वैश की अकादमी बनाई. तब उन्होंने कहा था कि इस कोर्ट से एक दिन वर्ल्ड चैंपियन निकलेंगे. ऐसा होने में 20 साल से ज़्यादा लग गए. लेकिन खेलों में ऐसा ही होता है. रातों-रात कोई चैंपियन नहीं बनता. एन रामचंद्रन ने एक योजना बनाई और सपना देखा. हमारे चैंपियन खिलाड़ी और हम सबने मिलकर इस सपने को आज साकार किया है.
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सवाल: क्या आपको लगता है कि इसका भारतीय खेलों पर बड़ा असर दिखेगा? क्या भारतीय खेलों के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है?
साइरस पोंचा: यकीनन..... अगर लोगों की नज़रों में ये सब आये...और आपके जैसे प्रेस के लोग इसे तवज्जो दें तो ये बिल्कुल मुमकिन है.
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