National Sports Bill 2025: BCCI पर भी नकेल कसने की तैयारी! नई नीति से बदल जाएगी भारतीय खेल जगत की तस्वीर

National Sports Bill 2025: खेल मंत्री ज़ोर देकर ये भी कहते हैं कि ये नया बिल किसी तरह से किसी राष्ट्रीय खेल फेडेरेशन्स की ऑटोनमी को चैलेंज नहीं कर रहा है. लेकिन ये बिल खेल सिस्टम को हर स्तर पर बेहतर करने की कोशिश है.

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National Sports Bill: नई नीती से बदला जाएगा भारतीय खेलों का भविष्य
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  • राष्ट्रीय खेल विधेयक 2025 बुधवार को संसद में पेश किया जाएगा, जिससे भारतीय खेल प्रणाली में सुधार होगा.
  • बीसीसीआई सहित सभी खेल संघों को नए कानून के तहत राष्ट्रीय खेल बोर्ड से मान्यता लेना आवश्यक होगा.
  • विधेयक के अनुसार खेल संघों की मान्यता और निलंबन का अधिकार राष्ट्रीय खेल बोर्ड को केंद्र सरकार द्वारा मिलेगा.
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बुधवार को पार्लियामेंट में नेशनल स्पोर्ट्स बिल 2025 (National Sports Bill) पेश किया जाएगा और उम्मीद की जा रही है कि इसके बाद भारतीय खेलों की दुनिया हमेशा के लिए बदल जाएगी. इस बिल को लाने की पहले भी कई कोशिशें हुईं, मगर कभी कामयाबी नहीं मिली.  खेल मंत्री मनसुख मांडविया कहते हैं,"इसे दो बार कैबिनेट और एक बार पार्लियामेंट से भी वापस करना पड़ा. इस बिल पर अजय माकन जी ने भी बहुत मेहनत की. मगर इस बार हम पूरी तैयारी के साथ जा रहे हैं. विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय खेल परिषद और अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक कमिटी (IOC) ने भी हमारे प्रयास को सराहा है." खेल मंत्री ज़ोर देकर ये भी कहते हैं कि ये नया बिल किसी तरह से किसी राष्ट्रीय खेल फेडेरेशन्स की ऑटोनमी को चैलेंज नहीं कर रहा है. लेकिन ये बिल खेल सिस्टम को हर स्तर पर बेहतर करने की कोशिश है.

BCCI पर भी लागू होगा न्यू स्पोर्ट्स बिल

बड़ी बात है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक के दायरे में है. हालांकि ये सब जानते हैं कि BCCI दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है और पैसों के लिए उसे खेल मंत्रालय का मुंह नहीं ताकना पड़ता. लेकिन क्रिकेट बोर्ड को नई कानून व्यवस्था के तहत प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल बोर्ड से मान्यता लेनी होगी, भले ही वह सरकारी धन पर निर्भर न हो. 

महिलाओं की खेल प्रशासक के तौर पर भागीदारी

इसका एक असर आने वाले दिनों में ये भी देखने को मिल सकता है कि बीसीसीआई सहित दूसरे खेलों की गवर्निंग बॉडी में महिलाओं की भागीदारी पहले कहीं ज़्यादा नज़र आएगी. IOC जेंडर बराबरी (पुरुष-महिला की बराबर भागीदारी) को लेकर बेहद संजीदा है. रियो 2016, टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 ओलिंपिक्स की तरह लॉस एंजेल्स 2028 के ओलिंपिक खेलों में क्रिकेट समेत दूसरे सभी खेलों में भी पुरुष और महिलाओं की भागीदारी बराबर करने पर फिर से ज़ोर दिया गया है. अब खेल प्रशासकों में भी महिलाओं का नंबर बढ़ने वाला है.

ताकतवर राष्ट्रीय खेल बोर्ड-NSB पर होगी नज़र

नए स्पोर्ट्स बिल के मुताबिक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) की नियुक्ति को लेकर खेल संघों के मन में सवाल ज़रूर हो सकते हैं. ये एक तरह का कंट्रोल मैकेनिज़्म भी नज़र आता है. इसकी नियुक्ति पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी. NSB के पास खेल संघों की मान्यता देने और निलंबित करने का अधिकार होगा. यह बॉडी फेडरेशन्स चुनावी गड़बड़ियों, वित्तीय अनियमितताओं को लेकर भी फ़ैसले ले सकेगी. प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल बोर्ड में एक अध्यक्ष होगा और इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी.

BCCI, खेल संघ की ऑटोनमी को ख़तरा नहीं 

BCCI, दूसरे खेल संघ या भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) की ऑटोनमी पर रोशनी डालते हुए एक सीनियर खेल अधिकारी ने बताया,"दूसरे सभी राष्ट्रीय खेल संघों (NSFs) की तरह BCCI  को भी इस विधेयक के कानून बनने के बाद देश के कानून का पालन करना होगा. वो  खेल मंत्रालय से पैसे नहीं लेते हैं, लेकिन संसद का अधिनियम उन पर भी लागू होता है. दूसरे सभी खेलों की तरह उनकी ऑटोनमी पर कोई ख़तरा नहीं है. लेकिन उनके विवाद और चुनाव, चयन के मसले भी राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल में सुलझाए जा सकेंगे." खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने ज़ोर देकर कई बार कहा कि इससे किसी भी खेल संघ की ऑटोनमी को कोई ख़तरा नहीं है ना ही खेल मंत्रालय खेल संघों या फेडरेशन्स के काम-काज मेंल दखल देने वाला है.  

आयु सीमा में बदलाव: 70 से बढ़कर 75 की उम्र सीमा

विधेयक ने प्रशासकों की आयु सीमा के मुद्दे पर छूट दी है. इसके मुताबिक अब 70 से 75 वर्ष की आयु वाले लोग चुनाव लड़ सकते हैं. चुनावी मामलों में विधेयक ओलंपिक चार्टर और अंतरराष्ट्रीय संघों के कानूनों की "सर्वोच्चता" को स्वीकार करेगा.  

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एथलीट- केंद्रित बिल

ये स्पोर्ट्स बिल पूरी तरह से एथलीट- सेंट्रिक यानी खिलाड़ियों को केंद्र में रखकर बनाने की कोशिश की गई है. यानी फोकस खिलाड़ियों पर रहेगा. खेल प्रशासन में भी खिलाड़ियों की भागीदारी और महिला एथलीटों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. बिल के प्रारुप को देखकर साफ लगता है. कि इस खिलाड़ी-केंद्रित विधेयक को ट्रांसपेरेन्ट यानी पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है. 

विवादों को सुलझाने के लिए खेल ट्राइब्युनल  

राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल का गठन इस बिल का बेहद अहम पहलू है. खेल मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी कुणाल कहते हैं,"अलग-अलग अदालतों में करीब 300-350 खेलों के मामले चल रहे हैं. किसी भी देश के खेलों की सेहत के लिए ये स्थिति कैसे अच्छी हो सकती है? इस बिल के पास हो जाने पर ये खेल ट्राइब्युनल तय करेंगे कि विवादों का असर खिलाड़ियों के करियर पर ना पड़े. किसी खिलाड़ी और देश के खेल का कोई नुकसान न हो."

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