फाइनल में नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर दूर भाला कैसे फेंक पाए, राष्ट्रीय कोच नायर ने किया उनकी सफलता के राज का खुलासा

Tokyo Olympics: राष्ट्रीय कोच राधाकृष्ण नायर को भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) की प्रतिभा पर पूरा विश्वास था जबकि वह राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहे थे और इसके बावजूद उन्होंने 17 साल की उम्र में राष्ट्रीय शिविर के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
राष्ट्रीय कोच नायर ने किया नीरज की सफलता के राज का खुलासा

Tokyo Olympics: राष्ट्रीय कोच राधाकृष्ण नायर को भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) की प्रतिभा पर पूरा विश्वास था जबकि वह राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहे थे और इसके बावजूद उन्होंने 17 साल की उम्र में राष्ट्रीय शिविर के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी. इस शिविर में बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ डॉ. क्लॉस बार्टोनीट्ज की देखरेख में नीरज के खेल में काफी सुधार आया.  हरियाणा के 23 साल के नीरज शनिवार को पिछले 13 वर्षों में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले देश के पहले खिलाड़ी बने. नायर ने उस समय को याद किया जब वह चोपड़ा युवा खिलाड़ी के तौर पर 2015 के राष्ट्रीय खेलों के दौरान पांचवें स्थान पर रहे लेकिन उन्होंने अपने कौशल से प्रभावित किया था.  राष्ट्रीय शिविर के लिए पांचवें स्थान के खिलाड़ी की सिफारिश करना मुश्किल था लेकिन विश्व एथलेटिक्स ‘स्तर -5' के अनुभवी कोच नायर ने ऐसा किया और चोपड़ा के उन्हें सही साबित करते हुए इतिहास रच दिया. 

Tokyo Olympics Closing Ceremony: समापन समारोह में भारत की ओऱ से बजरंग पूनिया ध्वजवाहक

नायर ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैंने उसे केरल में 2015 के राष्ट्रीय खेलों के दौरान देखा था. उसकी मांसपेशियों में बहुत लचीलापन था और उसका शरीर जिमनास्ट की तरह है. उसकी भाला फेंकने की गति काफी तेज थी. उन्होंने बताया, ‘‘ उनकी तकनीक उस समय उतनी अच्छी नहीं थी लेकिन बायो-मैकेनिक्स विशेषज्ञ बार्टोनीट्ज ने उनकी तकनीक में काफी बदलाव किए हैं और गैरी कैल्वर्ट (पूर्व कोच) ने भी चोपड़ा के साथ काफी काम किया है.चोपड़ा इस समय पानीपत के शिवाजी स्टेडियम से पंचकुला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास करने आये थे. 

नायर ने तब भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के योजना आयोग के अध्यक्ष ललित भनोट से बात की और 73.45 मीटर के थ्रो के साथ पांचवें स्थान पर रहने वाले चोपड़ा को एनआईएस पटियाला में राष्ट्रीय शिविर में ले गए. नायर ने कहा, ‘‘हम राष्ट्रीय शिविर में शामिल करने के लिए शीर्ष तीन खिलाड़ियों पर विचार करते थे. नीरज फाइनल में पांचवें स्थान पर था, लेकिन मैंने जो देखा, उससे मुझे पता था कि वह दो साल में 80 मीटर से दूर भाला फेंकेगा.

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने उन्हें राष्ट्रीय शिविर के लिए सिफारिश की और चोपड़ा शामिल हो गए. नायर की भविष्यवाणी जल्द ही सच हो गयी और उस वर्ष के अंत में ही, चोपड़ा ने पटियाला में भारतीय विश्वविद्यालय चैंपियनशिप के दौरान 81.04 मीटर के थ्रो के साथ 80 मीटर का आंकड़ा पार कर लिया.

Advertisement

राष्ट्रीय शिविर का हिस्सा बनने के बाद चोपड़ा ने फरवरी 2016 में गुवाहाटी में 82.23 मीटर के थ्रो के साथ दक्षिण एशियाई खेलों में जीत हासिल करते हुए अपने प्रदर्शन में सुधार जारी रखा. ऑस्ट्रेलियाई कोच गैरी कैल्वर्ट के आने के बाद चोपड़ा ने जुलाई 2016 में पोलैंड में 86.48 मीटर के बड़े थ्रो के साथ जूनियर विश्व चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया.  उनका यह जूनियर विश्व रिकॉड अब भी कायम है.

Advertisement

किसके हेयरस्टाइल को फॉलो करते हैं नीरज चोपड़ा, शाहरूख खान या इशांत शर्मा, खुद किया खुलासा- Video

नायर ने कहा कि 2019 में बार्टोनीट्ज के साथ काम करने के चोपड़ा के अनुरोध को एएफआई (भारतीय एथलेटिक्स संघ) द्वारा स्वीकार किया जाना एक सही निर्णय था और इसने उन्हें विश्व विजेता खिलाड़ी बनाने में अहम योगदान दिया.
उन्होंने कहा,  ‘थ्रो (फ्रेंकने)' करने वाली स्पर्धाओं में बायो-मैकेनिक्स दिमाग की तरह है. अगर एथलीट बायो-मैकेनिक्स विशेषज्ञ के बिना प्रशिक्षण लेते हैं तो चोटिल हो सकते हैं. एक बायो-मैकेनिक्स विशेषज्ञ एक गलत तकनीक का पता लगा सकता है और इसे ठीक कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘वह सही निर्णय था और अब हम इसका नतीजा देख रहे हैं.

Advertisement

उन्होंने बताया कि चोपड़ा ने भाला फेंक के राष्ट्रीय को कोच उवे हॉन की जगह  बार्टोनीट्ज के साथ काम करने को चुना.
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारा चुनाव नहीं था. नीरज उवे हॉन की प्रशिक्षण विधियों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा था. 2018 एशियाई खेलों के बाद, नीरज ने कहा कि वह हॉन के साथ प्रशिक्षण नहीं ले पाएंगे. फिर हमने डॉ क्लॉस बार्टोनीट्ज से उनके साथ काम करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हॉन खराब कोच है, लेकिन प्रशिक्षण एक व्यक्तिगत चीज है. एक व्यक्ति एक कोच से प्रशिक्षण लेने में संतुष्ट नहीं हो सकता है लेकिन उसे दूसरे कोच का तरीका पसंद आ सकता है.

VIDEO: 'अब वर्ल्ड चैंपियनशीप में जोर लगाऊंगा' : NDTV से बोले ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Maharashtra Results: PM Modi ने बताई शहरी भारत और इंफ्रास्ट्रक्टर की अहमियत | NDTV India
Topics mentioned in this article