किदांबी श्रीकांत ने रचा इतिहास, विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले पुरुष भारतीय बने

BWF World Championship: तीसरे और निर्णायक गेम और दबाव के पलों में हुई टक्कर में श्रीकांत टेम्प्रामेंट, कौशल, दबाव में बेहतर करना आदि तमाम बातों में लक्ष्य से बीस साबित हुए.  

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BWF World Championship: किदांबी श्रीकांत ने भारती पुरुष खिलाड़ियों के पहलू से इतिहास रच दिया है
हुएल्वा (स्पेन):

भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ने स्पेन के हुएलवा में खेली जा रही वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाकर स्वर्ण पदक की लड़ाई लड़ने का टिकट हासिल करते हुए खुद के लिए रजत पदक सुनिश्चित कर लिया है.  श्रीकांत ने फाइनल में हमवतन लक्ष्य सेन को हराकर फाइनल में जगह बनायी. दोनों ही खिलाड़ियों के बीच अच्छा मुकाबला हुआ, लेकिन बेस्ट ऑफ  थ्री की टक्कर में आखिरकार श्रीकांत ने लक्ष्य सेन के  लक्ष्य को तोड़ दिया. इसी के साथ ही कितांबी ने इतिहास भी रच दिया और वह प्रतियोगिता 1977 में शुरू होने के बाद फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी भी बन गए. उनसे पहले पिछले साल बी.  साई प्रणीत और साल 1993 में प्रकाश पादुकोण ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था, लेकिन अभी तक कोई पुरुष खिलाड़ी रजत पदक नहीं जीत सका था, लेकिन इस बार कितांबी स्वर्ण पदक भी जीत सकते हैं. 

पहला गेम लक्ष्य सेन ने ही जीता था और उन्होंने आक्रामक शुरुआत करते हुए श्रीकांत को 21-17 से हराकर 1-0 की बढ़त बना ली थी, लेकिन दूसरे गेम में श्रीलंकात ने समय गुजरने के साथ-साथ अपनी लय हासिल की. वहीं, लक्ष्य ने अहम पलों में गलती भी की. नतीजा यह रहा कि श्रीकांत ने लक्ष्य को 21-14 के बड़े अंतर से मात देते हुए खुद को 1-1 की  बराबी पर ला दिया. 

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तीसरे और निर्णायक गेम और दबाव के पलों में हुई टक्कर में श्रीकांत टेम्प्रामेंट, कौशल, दबाव में बेहतर करना आदि तमाम बातों में लक्ष्य से बीस साबित हुए.  और आखिर में श्रीकांत ने मुकाबला ठीक पहले गेम की तरह ही 21-17 से अपनी झोली में डालते हुए विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बना ली. 

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बहरहाल, लक्ष्य सेन के लिए अच्छी बात रही कि वह हार के बावजूद इस बड़े मंच पर कांस्य पदक जीतने में सफल रहे. और वह विश्व बैडमिंटन चैंपियनसिप में कांस्य पदक जीतने वाले कुल मिलाकर चौथे भारतीय खिलाड़ी बन गए. सेन ने क्वार्टरफाइनल में चीन के झाओ जुनपेंग को हराकर अंतिम चार में जगह बनायी थी, जबकि किदांबी श्रीकांत ने हांगकांग के मार्क कालजओ को हराया था और इन्हीं परिणामों के साथ ही भारत का एक रजत और कांस्य सुनिश्चित हो गया था. 

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