साइबर ठगी का शिकार बनने से पहले बचाए गए 'लाइव पीड़ित', गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने की कार्रवाई

उन्‍होंने बताया कि टीम ने संदिग्ध वित्तीय लेनदेन और नेटवर्क संकेतों की जांच कर तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों में फैले “लाइव पीड़ितों” तक पहुंच बनाई.

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  • गौतमबुद्ध नगर पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने सात लाइव पीड़ितों को ऑनलाइन ठगी से समय रहते बचा लिया.
  • पुलिस संदिग्ध वित्तीय लेनदेन और नेटवर्क संकेतों के आधार पर विभिन्‍न राज्‍यों में मौजूद पीड़ितों तक पहुंची.
  • ठगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से निवेश का झांसा देकर पीड़ितों से लगातार पैसे लिए थे.
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नई दिल्‍ली :

देश में साइबर क्राइम के रोजाना कई मामले सामने आते हैं. हर दिन बड़ी संख्‍या में लोग साइबर ठगों का शिकार बनते हैं. हालांकि गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्‍नेट की साइबर क्राइम टीम ने सात "लाइव पीड़ितों" को आइडेंटिफाई किया और उन्‍हें खोजकर ऑनलाइन ठगी से बचा लिया. समय रहते की गई इस कार्रवाई से लोग करोड़ों रुपए के नुकसान से लोग बच गए. अब पुलिस इन लोगों को साइबर ठगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने और बैंक खातों को फ्रीज करने की कार्यवाही में जुटी है. 

एडीसीपी, साइबर क्राइम शैव्‍या गोयल ने बताया कि पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देशन और साइबर कमांडो सचिन धामा के नेतृत्व में गठित टीम ने I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) और NPCI (National Payments Corporation of India) से प्राप्त साइबर और वित्तीय इंटेलिजेंस के आधार पर यह सफलता हासिल की. 

लाइव पीड़ितों तक बनाई पहुंच: पुलिस 

उन्‍होंने बताया कि टीम ने संदिग्ध वित्तीय लेनदेन और नेटवर्क संकेतों की जांच कर तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों में फैले “लाइव पीड़ितों” तक पहुंच बनाई. पुलिस ने स्वयं संपर्क कर लोगों को सच्चाई से अवगत कराया. उन्‍होंने बताया कि इन पीडि़तों को अब तक यह पता नहीं चला था कि उनके साथ साइबर ठगी की जा रही है,  जिसके बाद उन्होंने तुरंत लेनदेन रोक दिया और एक सक्रिय ठगी नेटवर्क को निष्क्रिय किया गया. 

सोशल मीडिया के जरिए किया संपर्क 

इन लोगों से ठगों ने सोशल मीडिया के माध्‍यम से संपर्क किया था और उन्‍हें आश्‍वासन दिया था कि अगर वो उनके साथ निवेश करते हैं तो उन्‍हें अच्‍छा मुनाफा हो सकता है. निवेश के नाम पर उनसे लगातार पैसे लिए जा रहे थे. उन्‍होंने बताया कि पैसे के लेनदेन का हमने अध्‍ययन किया और उसके आधार पर हमने पीडि़तों से संपर्क किया. उन्‍हें सतर्क किया और उनसे मामला दर्ज करवाया.

पुलिस दर्ज कर रही पीड़ितों की शिकायत 

साथ ही इस कार्रवाई से पीड़ितों के करोड़ों रुपए बचाए गए. फिलहाल पुलिस इन मामलों में शिकायतें दर्ज कर रही है और बैंक खातों को फ्रीज कराया जा रहा है. 

उन्‍होंने बताया कि साइबर पुलिस टीम द्वारा आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाई जा रही है. पुलिस की यह कार्रवाई "प्रोएक्टिव साइबर इंटेलिजेंस" का बेहतरीन उदाहरण मानी जा रही है. 

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