BMC चुनाव: ठाकरे गुट की शिवसेना में अंदरूनी असंतोष? मुस्लिम उम्मीदवार पर क्यों भड़क रहे स्थानीय कार्यकर्ता

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चांदवली जैसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से सक्रिय वार्ड में इस तरह का अंदरूनी असंतोष शिवसेना (UBT) के लिए चिंता का विषय बन सकता है.यदि समय रहते नाराज़गी को दूर नहीं किया गया,तो इसका फायदा विपक्षी दल उठा सकते हैं.

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बीएमसी चुनाव को लेकर सियासत हुई तेज
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  • शिवसेना (UBT) में चांदवली प्रभाग 161 के टिकट वितरण को लेकर गहरी नाराज़गी उभरी है
  • स्थानीय पदाधिकारियों का आरोप है कि संगठन की मेहनत को दरकिनार कर बाहरी उम्मीदवार को टिकट दिया गया है
  • पिछले छह कार्यकालों से शिवसेना का ही नगरसेवक चुना गया, इस बार भी स्थानीय वरिष्ठ चेहरे प्रबल दावेदार थे
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बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव से पहले चांदवली प्रभाग क्रमांक 161 में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के भीतर गहरी नाराज़गी उभरकर सामने आई है. स्थानीय पदाधिकारियों और पुराने शिवसैनिकों का आरोप है कि पार्टी नेतृत्व ने जमीनी हकीकत और संगठन की वर्षों की मेहनत को दरकिनार करते हुए बाहरी दल से आए उम्मीदवार को टिकट दे दिया है.स्थानीय नेताओं के अनुसार, पिछले लगभग छह कार्यकालों से प्रभाग 161 से शिवसेना का ही नगरसेवक निर्वाचित होता रहा है. इस बार भी राजनीतिक परिस्थितियाँ पार्टी के पक्ष में मानी जा रही थीं और संगठन के भीतर कई ऐसे वरिष्ठ व योग्य चेहरे मौजूद थे, जो टिकट के प्रबल दावेदार थे. इसके बावजूद नेतृत्व द्वारा बाहर से ‘आयात' किए गए उम्मीदवार को तरजीह देने से असंतोष और तेज हो गया है.

नाराज़गी की मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि पिछली बार AIMIM (एमआईएम) के टिकट पर चुनाव लड़ चुके सैयद इमरान नबी को हाल ही में शिवसेना (UBT) में प्रवेश दिलाया गया और उसी दिन उन्हें एबी फॉर्म देकर उम्मीदवार घोषित कर दिया गया. स्थानीय शिवसैनिकों का कहना है कि पार्टी में वर्षों से काम कर रहे योग्य और अनुभवी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर नए आए व्यक्ति को टिकट देना संगठनात्मक अन्याय है.

कुछ पदाधिकारियों ने यह भी सवाल उठाया है कि जब पार्टी में पहले से ही योग्य उम्मीदवार मौजूद थे, तब सिर्फ चुनावी गणित या सामाजिक संतुलन के नाम पर बाहरी दल से आए मुस्लिम उम्मीदवार को प्राथमिकता क्यों दी गई. हालांकि, असंतुष्ट कार्यकर्ता यह स्पष्ट कर रहे हैं कि उनकी नाराज़गी किसी समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि टिकट वितरण की प्रक्रिया और स्थानीय नेतृत्व को नजरअंदाज किए जाने को लेकर है.

एक वरिष्ठ स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा कि हमने वर्षों तक इस वार्ड में पार्टी को मजबूत किया, लेकिन चुनाव के समय बाहर से आए व्यक्ति को उम्मीदवार बना दिया गया. इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है और इसका सीधा असर चुनावी अभियान पर पड़ सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चांदवली जैसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से सक्रिय वार्ड में इस तरह का अंदरूनी असंतोष शिवसेना (UBT) के लिए चिंता का विषय बन सकता है.यदि समय रहते नाराज़गी को दूर नहीं किया गया,तो इसका फायदा विपक्षी दल उठा सकते हैं. फिलहाल पार्टी नेतृत्व की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन बीएमसी चुनाव से पहले टिकट वितरण को लेकर उठे ये सवाल ठाकरे गुट के लिए एक बड़ी संगठनात्मक चुनौती के रूप में देखे जा रहे हैं.

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