महाराष्ट्र के 149 छात्रों का विदेश में पढ़ाई का सपना कैसे टूटा?

केंद्र सरकार के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, ओवरसीज स्कॉलरशिप (एनओएस) स्कीम पर प्रत्येक राज्य के लिए कुल स्लॉट पर इस बार 10% की सीमा लगाई गई है. इससे महाराष्ट्र के 149 पात्र छात्र डिस्क्वलिफ़ाई हुए हैं जो विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे.

Advertisement
Read Time: 4 mins
मुंबई:

23 साल के होनहार अंगिरस खरात, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ब्रिस्टल, इंग्लैंड द्वारा मैनेजमेंट कोर्स के लिए चुने गये थे लेकिन ओवरसीज स्कॉलरशिप (एनओएस) स्कीम पर केंद्र सरकार के 10% कैपिंग ने विदेश में पढ़ने का सपना चकनाचूर कर दिया. अंगिरस के पिता म्यूजिशियन हैं, परिवार की सालाना आमदनी 4 लाख से भी कम है, ऐसे में सरकार की स्कॉलरशिप स्कीम से खूब उम्मीदें थीं.  अंगिरस जैसे ही महाराष्ट्र के कुल 149 छात्रों का उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने का ख़्वाब इस साल टूट चुका है. इस वजह से अंगिरस खरात जैसे 149 पात्र छात्रों का सपना चकनाचूर हो गया. 

अंगिरस खरात ने एनडीटीवी को बताया कि “बहुत उम्मीदें थीं, माता पिता भी आहत हैं, मैं बहुत रोया लेकिन हिम्मत नहीं हारी है. सरकार हमारे लिए इतना तो कर ही सकती है कि कम से कम राज्य स्तर पर सीट बढ़ा दे, मेरे क़रीब 13 दोस्तों का भी इलीजिबल होते हुए सिलेक्शन नहीं हुआ. बहुत छोटे गांव और दूर दराज़ ज़िलों से हैं, जिनका विदेश में पढ़ने का ख़्वाब है. कैसे पूरा होगा?”

क्या है पूरा मामला?

केंद्र सरकार के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, ओवरसीज स्कॉलरशिप (एनओएस) स्कीम पर प्रत्येक राज्य के लिए कुल स्लॉट पर इस बार 10% की सीमा लगाई गई है. इससे महाराष्ट्र के 149 पात्र छात्र डिस्क्वलिफ़ाई हुए हैं जो विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे.

विदेशी शिक्षा स्कॉलरशिप स्कीम गरीब और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए होती है लेकिन इस बार राज्य के लिए कुल स्लॉट पर 10% की सीमा लगाई गई है, जिससे सबसे बड़ा झटका महाराष्ट्र को लगा है. महाराष्ट्र के 149 पात्र होनहार छात्रों का  विदेश में पढ़ाई का सपना टूट गया. महाराष्ट्र सरकार की अपनी स्कॉलरशिप स्कीम अगर तंदुरुस्त होती तो केंद्र की कैंपिंग का बड़ा झटका नहीं लगता. देखिए महाराष्ट्र के छात्र किस तरह से आहत हैं.  

राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना अनुसूचित जाति, भूमिहीन कृषि मजदूर और पारंपरिक कारीगर श्रेणी जैसे वंचित सामाजिक समूहों के छात्रों को विदेश में उच्च डिग्री हासिल करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है.
  1. इस स्कॉलरशिप के तहत दुनिया भर की टॉप यूनिवर्सिटीज में संचालित होने वाले मास्टर्स डिग्री कोर्सेस, रिसर्च यानी पीएचडी प्रोग्राम में दाखिले के लिए दी जाती है.
  2. इसमें केंद्र द्वारा हर साल लगभग 125 छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं, जिनमें से 30 फीसदी महिला उम्मीदवारों के लिए ही आरक्षित होती हैं.
  3. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 जुलाई को एनओएस योजना के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी की.

केंद्र की कैपिंग का असर सबसे ज़्यादा महाराष्ट्र पर पड़ा है क्योंकि राज्य की अपनी ओवरसीज़ स्कॉलरशिप स्कीम के तहत दक्षिण और दूसरे राज्यों के तुलना में बेहद कम सीटें हैं.  इतना ही नहीं हाल ही में महाराष्ट्र सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा प्रदर्शन हुआ था जब विदेशी शिक्षा छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव करते हुए आवेदकों को ग्रेजुएशन में 75% अनिवार्य कर दिया गया था. जबकि पहले, कट-ऑफ 60% था. प्रदर्शनों को देखते हुए फ़ैसला वापस लिया गया. 

अन्य राज्यों की स्थिति

“कर्नाटक 400, केरल अनलिमिटेड, आंध्रप्रदेश में करीब 350 बच्चों को राज्य से  विदेशी शिक्षा स्कॉलरशिप के लिए भेजा जाता है. राजस्थान में भी संख्या 500 के आसपास है. महाराष्ट्र में सिर्फ़ 75 है. मध्योरद्वश में भी कम है 50 के क़रीब. ((पैच)) लाडली बहन और भाई योजना में हज़ारों करोड़ का फंड उड़ा रहे हैं. बेरोज़गार की मदद कर रहे हैं, और हमारे आर्थिक रूप से वंचित समाज के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं क्यों?”  

Advertisement
“महाराष्ट्र समृद्ध राज्य है, आर्थिक राजधानी है यहाँ और यहीं के होनहार बच्चे फण्ड के लिए तरस रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार SC , ST फण्ड इधर उधर बर्बाद ना करें, सीट बढ़ायें, और ऐसे होनहार बच्चों को फण्ड करे, केंद्र की कैंपिंग का असर आज महाराष्ट्र पर नहीं पड़ता अगर ये राज्य ख़ुद सक्षम होता.”

 
कर्ज में डूबी मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी समेत कई योजनाओं पर अब खतरा मंडरा रहा है. महाराष्ट्र की लाड़ली योजना पर भी हज़ारों करोड़ का ख़र्च होना है. चुनावी माहोल में ऐसी स्कीम और घोषणाओं में हमारे वो होनहार युवा और छात्र ना जाने कहाँ ग़ायब दिखते हैं जिन्हें मिली ज़रा सी आर्थिक मदद प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकती है. ओवरसीज स्कॉलरशिप (एनओएस) स्कीम में कैपिंग के ख़िलाफ़ अब संस्थाओं द्वारा क़ानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी है.

Featured Video Of The Day
Election Carnival: Haryana Assembly Elections में कार्निवल की हो रही दमदार वापसी