रूट ट्रेनर की नई तकनीक से वन विभाग कर रहा तीन लाख पौधे तैयार, सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मिलेगी मुक्ति

वन विभाग की नर्सरियों में पौधे अब पॉलीथिन बैग में तैयार नहीं किए जाएंगे. विभाग ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कुल्फी बाक्स की तरह रूट ट्रेनर को प्लॉस्टिक से तैयार किए हैं. इसका उपयोग पॉलीथिन की जगह पौधों को तैयार करने के लिए किया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
खंडवा:

खंडवा : मध्यप्रदेश के खंडवा में वन विभाग नई तकनीक से पौधों को तैयार कर रहा है. खंडवा के हरसूद स्थित चारखेड़ा नर्सरी में रुट ट्रेनर प्लास्टिक की सहायता से 18 प्रजातियों के लगभग 3 लाख से अधिक पौधे तैयार किये जा रहे हैं. जिसमे सागौन, नीम, करंज के अलावा फलदार पौधे जिनमे निम्बू, सीताफल भी शामिल हैं इनको तैयार कर खंडवा के अलग अलग वन परिक्षेत्र में रोपित किया जायेगा. दरअसल इस नई तकनीक से सिंगल यूज़ प्लास्टिक को खत्म किया जायेगा. इसकी जगह रूट ट्रेनर को बार बार काम में लिया जा सकता है. ऐसा करने से पर्यावरण भी संरक्षित होगा. माना जा रहा है कि सम्भवतः पहली बार रूट ट्रेनर का उपयोग कर बड़े पैमाने पर पूरे प्रदेश में पौधा रोपण की तैयारी की जा रही है. इस तकनीक के सफल होने पर इसमें सागौन के पौधे की भी रोपणी तैयार की जाएगी.

वन विभाग की नर्सरियों में पौधे अब पॉलीथिन बैग में तैयार नहीं किए जाएंगे. विभाग ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कुल्फी बाक्स की तरह रूट ट्रेनर को प्लॉस्टिक से तैयार किए हैं. इसका उपयोग पॉलीथिन की जगह पौधों को तैयार करने के लिए किया जाएगा. इसकी शुरूआत वन विभाग ने हरसूद की चारखेड़ा नर्सरी से की है, जहां पर रुट ट्रेनर में तीन लाख पौधे तैयार किए हैं. जिसे सभी वन मंडलों में भेजा जाएगा. रुट ट्रेनर में तैयार पौधे लगाने के उपरांत नर्सरी में दोबारा इन्हें उपयोग में लाया जाएगा.

बता दें कि अब तक नर्सरी में पौधों को तैयार करने के लिए लाखों की संख्या में पॉलीथिन पैकेट का उपयोग किया जाता रहा है. जिसका उपयोग एक ही बार होता है. यह पॉलीथिन जंगल से लेकर कॉलोनियों और उद्यानों में सालों से यूं ही पड़े हुए हैं. जिससे मृदा प्रदूषण हो रहा है. वन विभाग ने पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए नर्सरी में पॉलीथिन की बजाय रुट ट्रेनर में पौधे तैयार करने का प्रयोग शुरू किया है.

18 प्रजाति के तीन लाख पौधे हो रहे तैयार

वन विभाग के भूपेंद्र सिंह ने बताया कि 18 प्रजातियों के लगभग 3 लाख पौधे हरसूद की चारखेड़ा नर्सरी में तैयार किये जा रहे हैं. इन प्रजातियों में मुख्य रूप से करंज, नीम, पीपल सहित फलदार पौधों में आंवला, सीताफल, इमली, जैसे पौधे भी तैयार किये जा रहे हैं. भूपेंद्र ने बताया कि रूट ट्रेनर पॉलीथिन बैग से ज्यादा फायदेमंद है क्यों कि इसे बार बार उपयोग किया जा सकता है. जिस तरह आइसक्रीम कुल्फी बनाने के बॉक्स होते हैं ठीक उसी तरह रूट ट्रेनर में भी अलग अलग बॉक्स होते हैं जिनमे पौधों को तैयार किया जाता है.  ये पर्यावरण के लिए तो सहायक हैं ही, साथ ही परिवहन में भी सुविधा जनक होते हैं. एक बार में लगभग 10 पौधे एक ट्रे में आ जाते हैं, जिन्हे आसानी से रोपित किया जा सकता है. पहली बार वरिष्ठ अधिकारीयों के निर्देशन में इस तरह की तकनीक से रोपणी में पौधे तैयार किये जा रहे हैं.


रूट ट्रेनर से पर्यावरण की सुरक्षा    

वन वृत्त खंडवा के वन विस्तार अधिकारी विजय सोनी ने बताया कि रुट ट्रेनर में पौधा तैयार करने से पर्यावरण की पॉलीथिन से सुरक्षा होती है. क्योंकि नर्सरी में पौधों को तैयार करने के लिए पॉलीथीन बैग का इस्तेमाल किया जाता है. जो एक बार के बाद उपयोग में नहीं आती है. चारखेड़ा नर्सरी में रुट ट्रेनर में 3 लाख पौधे तैयार किए गए हैं. आने वाले समय में विभाग की सभी नर्सरी में रुट ट्रेनर में पौधे तैयार किए जाएंगे.
 

Featured Video Of The Day
भगवान के दर पर मारपीट, सावलिया सेठ मंदिर में दुकानदार ने श्रद्धालुओं पर लाठीचार्ज | VIRAL VIDEO
Topics mentioned in this article