ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर मध्यप्रदेश विधानसभा में जमकर हुआ हंगामा

कांग्रेसी विधायकों के शोरगुल के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के काम पूरे कराये औऱ कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी. विधायकों के शोर में बाढ़, महंगाई के सारे मुद्दे छूट गये.

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विधायकों के शोर में बाढ़, महंगाई के सारे मुद्दे छूट गये.
भोपाल:

ओबीसी को 27 फ़ीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर मंगलवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ जिसकी वजह से सदन का मानसून सत्र दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करना पड़ा. कांग्रेस विधायक अपनी मांगों से जुड़े नारे लिखी एप्रिन पहनकर सदन में आये थे. कांग्रेसी विधायकों के शोरगुल के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के काम पूरे कराये औऱ कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी. विधायकों के शोर में बाढ़, महंगाई के सारे मुद्दे छूट गये. 

कांग्रेस विधायकों ने पिछड़ा वर्ग को अब तक नहीं मिल पा रहे 27 फ़ीसदी आरक्षण के मामले में जमकर घेरा. कांग्रेस के सारे विधायक सदन में काले एप्रिन पहनकर पहुंचे. एप्रिन पर लिखा था ओबीसी विरोधी है शिवराज सरकार. इसके बाद सदन में ओबीसी आरक्षण को लेकर जमकर हंगामा हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक सामने सामने आ गये. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, 'ये बहुत बड़ा मुद्दा है हमारे प्रदेश का. लगभग 55 फीसदी आबादी ओबीसी है. हमने 27 फीसदी आरक्षण दिया था. इसपर स्थगन प्रस्ताव लाये तो उन्होंने स्वीकार नहीं किया. जो हमने लागू किया इन्होंने कोर्ट में गलत बयान दिया. आज ये अटका हुआ है.'

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वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग को लेकर पाखंड किया. मैं कमलनाथ से पूछना चााहता हूं कि 27 फीसदी आरक्षण के लिये आज एप्रिन पहनकर आ गये. लेकिन जवाब दो. इन्होंने पिछड़े वर्ग की पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की. आपने अपने कार्यकाल में स्टे रोकने की कोशिश क्यों नहीं की. आंख में पट्टी बांधकर बैठे रहे.'

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सत्ता और विपक्ष भले ही बाढ़ पर चर्चा ना कर पाये लेकिन श्योपुर से कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल ने इस मुद्दे पर अपना कुर्ता फाड़कर कैमरों का ध्यान खींच लिया. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मेरे इलाके में लोगों के पास कपड़े नहीं हैं, मैं कैसे पहनूं. सरकार ने श्योपुर में बाढ़ पीड़ितों की कोई मदद नहीं की.'

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मध्यप्रदेश में इस बार आफत की बारिश हुई, 24 लोगों की मौत हो गई जबकि 8832 लोगों को रेस्क्यू किया गया. 32000 लोगों को राहत कैम्प में पहुंचाया गया. 207 करोड़ की सड़क, पुल-पुलिया बह गये. उम्मीद थी सदन इनपर भी चर्चा करेगा लेकिन सिर्फ चार दिनों का सत्र दो दिन में खत्म हो गया.

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