मध्यप्रदेश में खाद की भारी किल्लत, सरकार किसानों से कह रही धैर्य रखें

खाद की मांग को लेकर किसानों ने सागर जिले के बीना में ट्रेन रोक दी, बंडा में कानपुर हाईवे जाम कर दिया और खूब हंगामा मचाया

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल:

सरकार कह रही है कि खाद की व्यवस्था की जा रही है लेकिन हकीकत ये है कि मध्यप्रदेश में डीएपी की किल्लत संभाले नहीं संभल रही है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में दिक्कत और बढ़े क्योंकि ज्यादातर सहकारी संस्थाओं में खाद नहीं है, वह भी तब जब रबी में गेहूं, चना, मसूर, सरसों की बुवाई होना है. मंगलवार को खाद की मांग को लेकर किसानों ने सागर जिले के बीना में ट्रेन रोक दी, बंडा में कानपुर हाईवे जाम कर दिया और खूब हंगामा मचा. यह हालत इसलिए है क्योंकि राज्य की 3400 सहकारी संस्थाओं में खाद ना के बराबर है. इस महीने केंद्र से 12 रैक यूरिया, 5 रैक डीएपी और 10 रैक एनपीके मिलना हैं.

प्रदेश में 6 लाख मीट्रिक टन यूरिया चाहिए और आवंटन हुआ है 4.99 लाख मीट्रिक टन का. अभी तक मिला है 2.39 लाख मीट्रिक टन. जबकि 4 लाख मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, आवंटन हुआ है 2.12 लाख मीट्रिक टन का, मिला है 1.33 लाख मीट्रिक टन. कुछ दिनों पहले कृषि मंत्री रैक को लेकर फिक्रमंद थे, लेकिन शायद रैंप पर चलते हुए. 12 मंत्री, 40 विधायक भी चिंतित हैं उपचुनावों के लिए और मुख्यमंत्री किसानों को धैर्य रखने की सलाह दे रहे हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसनों से कहा कि ''आप चिंता मत करना, दिन और रात हम लगे हैं. खाद, डीएपी जो आता है, वो हमारे यहां नहीं बनता, बाहर से इम्पोर्ट किया जाता हैं. प्रधानमंत्री जी को मैं हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं, 1200 रुपये बोरी की कीमत विदेशी कंपनियों ने 2400 रुपये कर दी तो भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तय किया, किसानों को 1200 रुपए में ही देंगे. बाकी सरकार अपने खाते से भरेगी. लेकिन विदेशों से भी आने में कई बार थोड़ा टाइम लगता है और इसीलिए कई बार ऐसा लगता है कि खाद की कमी हो गई है. खाद की भी पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. किसी ने ब्लैक करने की कोशिश की, गड़बड़ करने की कोशिश की तो उसको किसी भी कीमत पर छोड़ेंगे नहीं. सीधे जेल पहुंचाने का काम करेंगे.''

Advertisement

वैसे राज्य के 30 जिलों में फौरन खाद की जरूरत है. ऐसे में किसान धैर्य रखें तो कैसे? कांग्रेस कह रही है कि खाद के बदले किसान को लाठी मिल रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज किसान खाद के लिए भटक रहा है, सरकार उन पर लाठियां चलवा रही है. डीएपी की कमी होने पर एनपीके का इस्तेमाल कर सकते हैं, यूरिया का इस्तेमाल फसल की बढ़त के लिए होता है.

Advertisement

सरकार अपने बाबुओं के जरिए सुनती है, बाबुओं के लिए सब अच्छा ही होता है, अनुमान होता ही नहीं तो इंतजाम कैसे करेंगे, उन्हें तो ये भी मालूम नहीं होगा कि अभी भी ज्यादातर जगहों पर डीएपी की 1200 रुपये की बोरी 1450 में बिक रही है. रबी में 15 नवंबर तक बुवाई होगी ऐसे में किसान धैर्य रखें तो कैसे?

Advertisement
Featured Video Of The Day
Pappu Yadav का Chirag Paswan पर निशाना: BJP की सहमति के बिना चुनाव लड़ा तो गठबंधन में... | Bihar
Topics mentioned in this article