जबलपुर अग्निकांड : सीएमएचओ और फायर सेफ़्टी अफसर सस्पेंड, 51 अस्पतालों में भर्ती पर रोक

अस्पताल में आग से सुरक्षा के लिए समुचित अग्निशमन व्यवस्था नहीं थी, जांच के लिए डिवीजनल कमिश्नर की अध्यक्षता में समिति गठित की गई

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मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक निजी अस्पताल में आग लगने से आठ लोगों की मौत हो गई.

जबलपुर:

Jabalpur hospital fire: जबलपुर में एक निजी अस्पताल में आग लगने की घटना के पीछे लापरवाही सामने आई है. प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने मंगलवार को कहा कि जबलपुर में अस्पताल में आग लगने की घटना की प्रारंभिक जांच में सुरक्षा के संबंध में कई कमियां सामने आई हैं. यह पाया गया कि आग से सुरक्षा के अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की अवधि समाप्त हो चुकी थी. उधर, जबलपुर पुलिस (Jabalpur Police) ने अस्पताल में आग की घटना के मामले में चार डॉक्टरों सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. अस्पताल में आग लगने से कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई थी. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर में निजी अस्पताल में हुए हादसे के बाद सीएमएचओ और फायर सेफ़्टी अफसर को निलंबित करने का आदेश दिया है. साथ ही ऑडिट होने तक 51 निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम में नए मरीज़ों के भर्ती होने पर रोक लगा दी है. 

जबलपुर पुलिस ने अस्पताल के चार डॉक्टरों, जो कि अस्पताल के मालिक भी हैं के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत एफआईआर दर्ज की है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने जिन पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है उनमें अस्पताल के निदेशक और मालिक डॉ निशीत गुप्ता, डॉ सुरेश पटेल, डॉ संजय पटेल, डॉ संतोष सोनी और अस्पताल प्रबंधक राम सोनी शामिल हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक चारों डॉक्टर फरार हैं. पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए टीमें लगा दी हैं.

अस्पताल में आग से सुरक्षा के लिए समुचित अग्निशमन व्यवस्था नहीं थी. आगजनी की स्थिति में दमकल वाहन के आने-जाने के लिए निर्धारित 3.6 मीटर साइड स्पेस नहीं था, लेकिन इसके बावजूद अस्पताल को मंजूरी मिल गई थी. यह मध्यप्रदेश उपचर्यागृह व रूजोपचार नियम 1997, मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 एवं नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 का उल्लंघन है. अस्पताल के बिल्डिंग पूर्णता प्रमाण पत्र रिकार्ड में न होने पर भी “yes” लिख दिया गया, जबकि मध्यप्रदेश म्युनिसिपल एक्ट 1956 के तहत सीसी आवश्यक है.

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जबलपुर में छोटे-बड़े लगभग 150 हॉस्पिटल हैं. पिछले तीन सालों में लगभग 45 नए अस्पताल खुले हैं. अस्पतालों में इन अनियमितताओं के खिलाफ जनहित याचिका लगी है लेकिन सरकार ने तीन महीने से कोई जवाब नहीं दिया. याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने कहा कि, ''हमने कोर्ट से आग्रह किया है कि अनफिट बिल्डिगों को उपयुक्त बताकर फिटनेस देने वाले सारे अधिकारियों पर कार्रवाई हो. अस्पतालों का पंजीयन निरस्त हो. मप्र शासन के निर्देश पर अगस्त 2021 में जांच की गई और सभी अस्पतालों को क्लीन चिट दे दी गई. सही जांच हुई होती तो इतनी बड़ी घटना न होती.''

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अस्पताल में ट्रांसफॉर्मर गेट के सामने है. यहीं से आना जाना होता है. इसके ठीक पीछे मेडिकल स्टोर है जिसके कारण लोग निकल नहीं पाए. धुंआ भरता गया और आठ लोगों की तुरंत मृत्यु हो गई. अभी भी कई लोग संघर्ष कर रहे हैं. इस अस्पताल को सारी एनओसी दे दी गई थीं.

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सीएमएचओ डॉ रत्नेश कुरारिया ने कहा कि, ''जनवरी 2021 में इस अस्पताल का पंजीयन किया गया था. जो सरकार के नॉर्म्स थे, इस आधार पर प्राथमिक एनओसी दी गई थी. जून 2021 मे नया नर्सिंग होम एक्ट आया था. उसमें दो चिकित्सकों की टीम ने उपयुक्त पाया था. मेरे साथ उस दल के सदस्य थे, उसमें ऐसी कोई खामी नहीं थी. नर्सिंग होम एक्ट के हिसाब से औपचारिकताएं पूरी थीं.''

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अस्पताल में लगी आग के मामले में मालिकों पर मामला दर्ज हो गया है. मैनेजर गिरफ्तार हो गया है. आठ महीने बाद सरकार को याद आ रहा है कि फायर ऑडिट का ऑडिट करना है. गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने कहा कि, ''चारों पर थाना विजयनगर में केस दर्ज हो गया है. अस्पताल के मैनेजर को गिरफ्तार किया गया है. फायर एनओसी निगम से प्राप्त नहीं की थी. क्या-क्या कमी थी, इसके लिए डिवीजनल कमिश्नर की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी गई है.''

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि, हमारी तरफ से स्पष्ट निर्देश हैं, सभी तरह के सेफ्टी नॉर्म्स लेकर संचालन हो सकता है. उसमें कमी होगी तो बख्शा नहीं जाएगा. फायर सेफ्टी ऑडिट सभी अस्पतालों में है, यही जांच का विषय है किया या नहीं?

पिछले साल जून में हमने तफ्तीश की बताया था कि कैसे कोरोना काल में मध्यप्रदेश में हर नियम को ताक पर रखकर अस्पताल खोले गए. दो-दो कमरों में मल्टी स्पेशयलिटी अस्पताल का लाइसेंस, एक-एक डॉक्टर के नाम 8-10 अस्पतालों में भी बतौर रेजिडेंट डॉक्टर दर्ज हैं, वो भी अलग-अलग शहरों में. तभी सरकार ने मान्यता निरस्त करने की बात कही... लेकिन सच ...खुद धधककर बाहर आ गया.

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