रतलाम के मोचीपुरा में संजय साजन और भरत कैलाश सीवर लाइन साफ करने 7 फीट गहरे गड्ढे में उतरे. ये खबर कहीं सुर्खियों में नहीं दिखेगी. ये मजबूरी की नहीं बल्कि अमानवीयता की तस्वीरें हैं. इन तस्वीरों में आपको ग्लब्स, जैकेट, सीवरेज-दलदल की सफाई के लिए विशेष ड्रेस, जूते, मास्क, हेलमेट, कुछ नहीं दिखेगा. इन तस्वीरों में 2013 मैनुअल स्कैवेंजर्स नियोजन प्रतिषेध एवं पुनर्वास की धज्जियां दिखेंगी.
इन तस्वीरों में दिखेगा कि कैसे सफाईकर्मियों की सुरक्षा से जुड़े तमाम प्रयासों और दावों के बावजूद इनकी मौत महज़ आंकड़ा है.
2020 में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अधीन राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने आरटीआई के तहत बताया था कि पिछले तीन सालों में सीवर की सफाई करने के दौरान कुल 271 लोगों की जान चली गई और इनमें से 110 मौतें सिर्फ 2019 में हुई हैं.
तब आयोग के अध्यक्ष मनहर वालजीभाई जाला ने कहा था कि सफाई के लिए आधुनकि मशीनों की सुविधाएं नहीं होने और ज्यादातर जगहों पर अनुबंध की व्यवस्था होने से सफाईकर्मियों की मौतें हो रही हैं. रतलाम की ये तस्वीरें देखकर लगता है कि कुछ बदला है.