भोपाल में इंजीनियर छात्र की मौत और इसके ठीक पहले उसके भेजे 'मैसेज' का कोई लिंक नहीं : पुलिस

साइबर फॉरेंसिक जांच में निशांक की मौत का नूपुर शर्मा विवाद से कोई कनेक्शन नहीं मिला है. एसआईटी के बाद साइबर पुलिस की जांच में भी हत्या के कोई सबूत नहीं मिले हैं. '

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निशांक को मौत के करीब एक घंटा पहले ट्रैफिक कैमरे में स्‍कूटर पर सवार देखा गया था

भोपाल:

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इंजीनियरिंग के छात्र निशांक राठौर (Nishank Rathore) की मौत का मामला पुलिस, एसआईटी और अब साइबर सेल की जांच में भी एक ही नतीजे पर पहुंचा है .. खुदकुशी. साइबर फॉरेंसिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि निशांक कर्ज में डूबा था. ये भी पता लगा है कि खुदकुशी से घंटेभर पहले तक मोबाइल को उसके फिंगर प्रिंट से ही कई बार खोला गया, उस पर किसी और की उंगलियों के कोई निशान नहीं मिले हैं. ऐसी आशंका थी कि बीजेपी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा के समर्थन में कहीं यह एक और हत्‍या तो नहीं, लेकिन यह आशंका निर्मूल साबित हुई है.
    
एक निजी कॉलेज में इंजीनियरिंग के छात्र निशांक रविवार को आखिरी बार भोपाल के ट्रैफिक सिग्नल में लगे कैमरे में दिखे, इसके पहले किराये पर लिये स्कूटर में उसने 400 रु का पेट्रोल भरवाया जिसका पेमेंट अपने मोबाइल से किया. इसके बाद 5.44 मिनट पर निशांक के फोन से उसके पिता के फोन पर धड़ाधड़ 3 मैसेज आये, यही मैसेज उसके सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किये गये. 6.10 मिनट पर पता लगा कि भोपाल नर्मदापुरम ट्रैक पर निशांत का शव मिला है. एम्स में शॉर्ट पोस्टमॉर्टम में मौत की वजह ट्रेन से कटना बताया गया था लेकिन मोबाइल पर आये मैसेज ने मामले को उलझा दिया था. मृतक निशांक के मोबाइल से की गई एक 'आपत्तिजनक' पोस्ट को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे, पुलिस, एसआईटी से होते मामला साइबर फॉरेंसिक पर आकर टिका. अब इन सवालों के जवाब भी साइबर फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में मिल गए हैं. 

साइबर फॉरेंसिक जांच में निशांक की मौत का नूपुर शर्मा विवाद से कोई कनेक्शन नहीं मिला है. एसआईटी के बाद साइबर पुलिस की जांच में भी हत्या के कोई सबूत नहीं मिले हैं. 'आपत्तिजनक' पोस्ट निशांक के फोन से ही उसके पिता को भेजी गई. उसके मोबाइल से ही फोटो एडिट की गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि पेट्रोल पंप पर शाम 5:09 बजे पेमेंट करने और शाम 6:02 बजे के दरम्यान कई बार फ़ोन लॉक-अनलॉक हुआ था. निशांक का फ़ोन आख़िरी बार शाम 6:02 बजे लॉक हुआ यानी तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. लगभग हर बार फ़ोन चलाने के लिये निशांक के फ़िंगरप्रिंट का ही इस्तेमाल हुआ. रिपोर्ट से ये भी साफ़ हुआ है कि मोबाईल एप्स के माध्यम से निशांक ने कई जगह से लोन ले रखे थे. निशांक के फोन में क्रिप्टो से जुड़े ऐप भी थे.

राज्‍य के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने पहले ही कहा था कि सारे सबूत आत्महत्या की तरफ इशारा कर रहे हैं.  प्रथम दृष्टया सुसाइडल मामला आया है, विसरा प्रिजर्व किया गया है, कमर के ऊपर चोट नहीं है, पोस्टमॉर्टम में भी रेल से कटना आया है. पीएम रिपोर्ट का भी विस्तार से अध्ययन कर लिया गया है. ख़ैर इन सवालों के बीच, एक रोता बिलखता परिवार पीछे छूट गया. रक्षाबंधन से पहले बहन प्रतीक्षा और अंजलि ने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी. फर्क सिर्फ इतना था कि आर्शीवाद देने हाथ नहीं उठे. निशांक होशंगाबाद जिले के सिवनी- मालवा का रहने वाला था और भोपाल के एक प्राइवेट कॉलेज में इंजीनयरिंग की पढ़ाई कर रहा था.
 

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