मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कमला नेहरू बाल अस्पताल में आग लगने की दुर्घटना के संबंध में बुधवार को राज्य सरकार को सौंपी गई प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आग वेंटीलेटर को चालू करने के लिये प्लग लगाने के दौरान चिंगारी निकलने से लगी. इसी बीच, कमला नेहरू अस्पताल प्रशासन ने कहा कि आठ नवंबर की रात हुई इस दुर्घटना में केवल चार शिशुओं की ही मौत हुई है. यह रिपोर्ट भोपाल के जिलाधिकारी अविनाश लवानिया ने राज्य सरकार को भेजी है.
लवानिया द्वारा राज्य शासन को प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया है कि संबंधित विभागाध्यक्ष डॉ.ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बताया कि आठ नवंबर को रात लगभग साढ़े आठ बजे अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित नवजात देखभाल विशेष इकाई (एसएनसीयू) में भर्ती एक बच्चे के वेंटीलेटर को चालू करने के लिए वहां उपस्थित चिकित्सक एवं उसके सहयोगी ने प्लग लगाया, जिसके थोड़ी देर पश्चात अचानक उसमें से चिंगारी निकली और आग लग गई.
भोपाल के अस्पताल में आग, सरकार ने तीन डॉक्टरों और एक अधिकारी पर कार्रवाई की
रिपोर्ट के अनुसार, वहां उपस्थित डॉक्टर ने आग बुझाने के यंत्र की सहायता से इस आग को तुरंत बुझाने का प्रयास किया. यद्यपि आग पर काबू पा लिया गया, किन्तु पूरे कमरे में धुआं फैल गया तथा उसके पश्चात भी वेंटीलेटर के अन्दर से धुंआ निकलता रहा.
इसमें कहा गया है कि घटना के समय उपस्थित चिकित्सा कर्मी एवं बच्चों के परिजनों ने आसपास की खिड़कियों के कांच तोड़ दिये जिससे धुएं का निकास आसानी से हो सके और अस्पताल प्रबंधन ने दमकल विभाग को इस हादसे के बारे में तत्काल सूचित किया. रिपोर्ट के अनुसार, जिला प्रशासन, नगर निगम तथा पुलिस प्रशासन का दल भी सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पहुंच गया एवं बचाव कार्य तेजी से किया गया. चिकित्साकर्मियों, प्रशासन एवं बच्चों परिजनों ने वॉर्ड में भर्ती सभी बच्चों को वार्ड से बाहर निकाला.
रिपोर्ट में बताया गया कि इस दौरान चार नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जिनके नाम ‘बेबी ऑफ सोनाली' पिता अरुण, ‘बेबी ऑफ शाजमा' पिता रईस कुरैशी, ‘बेबी ऑफ इरफान' पिता राशिद और ‘बेबी ऑफ रचना' पिता अंकुर यादव' शामिल हैं.
भोपाल : आग से चार बच्चों की मौत, अस्पताल ने 15 साल से नहीं ली थी फयर एनओसी
इसी बीच, गांधी मेडिकल कॉलेज की शिशु रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने कमला नेहरू बाल अस्पताल में आठ नवम्बर की रात हुई अग्नि दुर्घटना में चार शिशुओं के मृत होने की पुष्टि करते हुए अन्य शिशुओं की मृत्यु की वस्तुस्थिति भी बताई है.
उन्होंने कहा कि आठ नवम्बर को हुई तीन बच्चों की मौत इस दुर्घटना के काफी समय पूर्व अन्य कारणों से हुई थी. श्रीवास्तव ने कहा कि एसएनसीयू बीमार नवजात देखभाल इकाई में प्राय: ऐसे बच्चे दाखिल होते हैं, जिनका जन्म समय से पहले हो गया हो या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी हों और चिकित्सालय इन बच्चों का पूरी गंभीरता से उपचार करता है.उन्होंने कहा कि आठ नवम्बर को हुई दुर्घटना में चार बच्चों की मौत हुई थी.
भोपाल अस्पताल में आग कांड : लापरवाही पर फिर भी लगाम नहीं, परिजन ढूंढ रहे हैं बच्चों के शव