MP में तबादलों का दौर, अमेजन के अफसरों को तलब करने वाले SP का हुआ ट्रांसफर तो कांग्रेस ने लगाया यह आरोप..

मध्‍य प्रदेश के मुखिया ने पारदर्शी तबादला नीति की बात तो की लेकिन ऐलान के ठीक बाद थोकबंद तबादले होने लगे.

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सीएम शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में पारदर्शी तबादला नीति की बात की थी
भोपाल:

Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में नई तबादला नीति (Transfer policy)को लेकर बड़ी-बड़ी बातें हुई, खुद मुख्यमंत्री ने कुछ दिनों पहले कहा कि विधायक सिर्फ तबादले की फाइलें लेकर आते हैं,इसलिये राज्य में पारदर्शी तबादला नीति बनाने की ज़रूरत है लेकिन राज्य में धड़ाधड़ तबादले हो रहे हैं. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार तबादला कारोबार कर रही है. राज्‍य के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, 'हमारे विधायक जी आते हैं, तो कागज लेकर आते हैं.बिना कागज के आते ही नहीं और कागज में भी ज्यादा कागज काहे के रहते हैं, आप समझ गए होंगे.अगर वो सब कर दो तो पता चला स्कूल में मास्टर ही नहीं बचे और कई अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं बचे. जो करवाने वाले होते हैं, वो बड़े कलाकार होते हैं. वे कांग्रेस में भी करवा लाते हैं, सरकार बदलती है तो इधर भी आ जाते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि ट्रांसपेरेंट ट्रांसफर पॉलिसी बनाकर हम उसको आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से  इस्तेमाल करें.'

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प्रदेश के मुखिया ने पारदर्शी तबादला नीति की बात तो की लेकिन ऐलान के ठीक बाद थोकबंद तबादले होने लगे. गुरुवार को ही 13 आईपीएस अधिकारियों का तबादला हुआ, जिसमें भिंड के पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह भी है. मनोज सिंह ने हाल में ही अमेजन प्लेटफॉर्म से कथित तौर पर गांजा बेचने के मामले में उसके आला अधिकारियों को तलब किया था. सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस जहां इसे तबादला उद्योग बता रही है, वहीं सरकार कह रही है कि यह सतत प्रक्रिया है. गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने कहा, 'स्थानांतरण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है ऐसे किसी कारण से किसी का भी ट्रांसफर नहीं किया गया जैसी आशंका व्यक्त की गई है.'

उधर, कांग्रेस प्रवक्‍ता अजय सिंह यादव ने कहा, '2 दिन पहले कलेक्टर कमिश्नर बैठक में प्रशासनिक कसावट की नाटक नौटंकी की जाती है फिर अगले ही दिन वही तबादला उद्योग चालू अच्छे काम करने वाले अधिकारियों का तबादला कर दिया जाता है जिस तरह से भिंड एसपी द्वारा ऑनलाइन गांजा खरीदी के खिलाफ कार्यवाही की गई] उसके बदले में उनका तबादला कर दिया किया. भाजपा सरकार में केवल और केवल तबादला उद्योग चल रहा है और जनता इस भ्रष्टाचार का शिकार हो रही है. ' हालत यह है कि पहले कांग्रेस सरकार में तबादले बीजेपी को उद्योग लगते थे, अब कांग्रेस को. वैसे राज्य में पहली तबादला नीति 1980 में आई थी. इसके बाद से हर एक-दो साल के भीतर नीति बनती रही और तबादले हुए लेकिन अब तबादलों का आधार अक्सर नेताजी की शान में गुस्ताखी होने लगा है.

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