मध्यप्रदेश: 7 क्षेत्रीय भाषाओं में बच्चों को दी जाएगी प्राथमिक शिक्षा, पाठ्यक्रम में जुड़ेगा "सावरकर का चैप्टर"

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा में स्कूली बस्ते का कोई काम नहीं होगा. इसके लिए तैयारियां प्रारंभ है. कोर्स को कुछ इस तरीके से डिजाइन किया जा रहा है कि बच्चे खेल खेल में शिक्षा ग्रहण करेंगे.

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मध्यप्रदेश में जल्दी ही अलग-अलग क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाओं के हिसाब से बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जाएगी. इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है. इस बात की जानकारी मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने दी है. रीवा के माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा संचालित मॉडल स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह में 7 भाषाओं में होगी, मध्य प्रदेश के बच्चे अपने घर में पैदा होते ही जिन भाषाओं को सुनते हैं. उन्हीं भाषाओं पर अब उनको प्राथमिक शिक्षा दी जाएगी. इसके लिए बघेली, बुंदेली, मालवीय, भीली, निमाड़ी, गोंडी, जैसी भाषाओं में कोर्स तैयार किया जा रहा है. यह शिक्षा पूरी तरह से भारतीय परंपराओं संस्कृति के हिसाब से होगी.

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा में स्कूली बस्ते का कोई काम नहीं होगा. इसके लिए तैयारियां प्रारंभ है. कोर्स को कुछ इस तरीके से डिजाइन किया जा रहा है कि बच्चे खेल खेल में शिक्षा ग्रहण करेंगे. प्राथमिक शिक्षा उनको उन्हीं के माहौल में, उन्हीं की बोलचाल में,
उन्हीं की भाषा में दी जाएगी.

सावरकर के सवाल के जवाब में इंदर सिंह परमार ने कहा कि स्कूल शिक्षा में हम सब को शामिल कर रहे हैं. भारत के वीर शौर्य पराक्रम की कहानी पाठ्यक्रम में होगी. शिवाजी, राजगुरु, सुखदेव से लेकर हम सभी को शामिल करेंगे, जिनका भी भारत की ऐतिहासिक गाथाओं में नाम दर्ज है. हम सभी को पढ़ाएंगे. सावरकर के सवाल पर इंदर सिंह परमार का कहना था सावरकर वीर थे. एक जन्म में अंग्रेजों ने उन्हें दोबारा आजन्म कारावास की सजा सुनाई.

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