MP: बच्चों और महिलाओं को राशन बांटने में बड़ा 'गड़बड़झाला', पढ़ें - कैसे भ्रष्टाचार की बली चढ़ी जनता की गाढ़ी कमाई

बीजेपी भ्रष्टाचार को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है कि उसके द्वारा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार नहीं होता लेकिन सरकारी ऑडिटर की ये रिपोर्ट इस दावे के विपरीत है.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
राशन के नमूनों को वितरण के कई चरणों में राज्य के बाहर स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में भेजने की आवश्यकता होती है.
भोपाल:

मध्य प्रदेश में बच्चों और महिलाओं को राशन बांटने में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है. यहां करोड़ों का टनों वजनी पोषण आहार कागजों में ट्रक पर आया, लेकिन जांच में वो बाइक और ऑटो की सवारी कर रहा था. यही नहीं लाखों ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते उनके नाम पर भी करोड़ों का राशन बांट दिया गया. भ्रष्टाचार का ऐसा खेल चला, जिससे करदाताओं के करोड़ों भ्रष्ट सिस्टम की जेब में गए और बच्चे-महिलाएं कुपोषित ही रह गए. ये पाया है मध्यप्रदेश में लेखा परीक्षक ने.

एनडीटीवी को मध्य प्रदेश के एकाउंटेंट जेनरल की 36 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट मिली है, जिसमें बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, लाभार्थियों की पहचान में अनियमितता, स्कूली बच्चों के लिए महत्वाकांक्षी मुफ्त भोजन योजना के वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में गड़बड़ी पाई गई है.

रिपोर्ट के कुछ गंभीर निष्कर्ष 2021 के लिए टेक होम राशन (टीएचआर) योजना के लगभग 24 प्रतिशत लाभार्थियों की जांच पर आधारित थे. इस योजना के तहत 49.58 लाख पंजीकृत बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार दिया जाना था. इनमें 6 महीने से 3 साल की उम्र के 34.69 लाख बच्चे, 14.25 लाख गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली मां और 11-14 साल की लगभग 64 हजार बच्चियां शामिल थीं जिन्होंने किसी कारणवश स्कूल छोड़ दिया है. 

दावा किया गया था कि छह कारखानों से 6.94 करोड़ रुपये की लागत के 1,125.64 मीट्रिक टन राशन का परिवहन किया था. लेकिन परिवहन विभाग से सत्यापन करने पर पता लगा कि ट्रकों के जो नंबर दिए गए हैं, उनपर बाइक, कार, ऑटो और टैंकर पंजीकृत हैं. 

9,000 लाभार्थी बने 36.08 लाख

केंद्र और राज्य सरकार ने अप्रैल 2018 तक राशन के लिए पात्र स्कूली छात्राओं की पहचान के लिए बेसलाइन सर्वेक्षण पूरा करने को कहा था. इसके बावजूद, महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग ने इसे फरवरी 2021 तक पूरा नहीं किया. जहां स्कूल शिक्षा विभाग ने 2018-19 में स्कूल न जाने वाली लड़कियों की संख्या 9,000 होने का अनुमान लगाया था. वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग ने बिना कोई सर्वे किए उनकी संख्या 36.08 लाख होने का अनुमान लगाया था. 

जांच के दौरान, यह पाया गया कि आठ जिलों के 49 आंगनबाड़ी केन्द्रों में केवल तीन स्कूल न जाने वाली लड़कियों का पंजीकरण किया गया था. हालांकि, उन्हीं 49 आंगनवाड़ी केंद्रों के तहत, डब्ल्यूसीडी विभाग ने 63,748 लड़कियों को सूचीबद्ध किया और 2018-21 के दौरान उनमें से 29,104 की मदद करने का दावा किया. साफ तौर पर यहां आकड़ों में हेर फेर करके ₹ 110.83 करोड़ मूल्य के राशन का फर्जीवाड़ा हुआ. 

Advertisement

इन सबके अलावा, राशन निर्माण संयंत्रों ने भी उनकी निर्धारित और अनुमानित क्षमता से अधिक उत्पादन की जानकारी दी. जब कच्चे माल और बिजली की खपत की तुलना वास्तविक राशन उत्पादन से की गई, तो यह पाया गया कि इसमें से ₹ ​​58 करोड़ की हेराफेरी की गई थी.

मध्य प्रदेश के बाड़ी, धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपुरी में छह संयंत्रों ने ₹ 4.95 करोड़ की लागत से 821 मीट्रिक टन राशन की आपूर्ति करने का दावा किया जबकि उस दिन उनके स्टॉक में उतना राशन था ही नहीं. आठ जिलों में, बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) ने संयंत्रों से 97,000 मीट्रिक टन से अधिक राशन प्राप्त किया. जबकि परिवहन करके सिर्फ 86,000 मीट्रिक टन आंगनवाड़ियों को भेजा गया. 

Advertisement

बाकी 62.72 करोड़ रुपये की लागत से 10,000 मीट्रिक टन से अधिक राशन का परिवहन नहीं किया गया था. न ही गोदाम में उपलब्ध था. यह दर्शाता है कि यहां भी गड़बड़ी हुई.

गुणवत्ता जांच से बचा गया

राशन के नमूनों को वितरण के कई चरणों में राज्य के बाहर स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में भेजने की आवश्यकता होती है, संयंत्र से लेकर आंगनबाड़ियों तक, उनकी गुणवत्ता और पोषण मूल्य की जांच के लिए लेकिन राज्य में ऐसा नहीं किया गया, जिससे यह पता चलता है कि बच्चे और महिलाएं को घटिया क्वॉलिटी का राशन दिया गया.

Advertisement

मुख्यमंत्री का है विभाग

बीजेपी भ्रष्टाचार को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है कि उसके द्वारा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार नहीं होता लेकिन सरकारी ऑडिटर की ये रिपोर्ट इस दावे के विपरीत है. हालांकि अभी तक गुजारिश के बावजूद इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई टिप्पणी या प्रतिक्रिया नहीं मिली है. 

2020 में उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी नेता इमरती देवी ने महिला बाल विकास मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से ये विभाग मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है. THR कार्यक्रम का नेतृत्व और पर्यवेक्षण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव करते हैं. उन्हें राज्य स्तरीय निदेशक, 10 संयुक्त निदेशक, 52 जिला कार्यक्रम अधिकारी और 453 बाल विकास परियोजना अधिकारी या सीडीपीओ द्वारा सहायता प्रदान की जाती है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें -
-- जम्मू-कश्मीर के लोग मेरी पार्टी का नाम और झंडा तय करेंगे : गुलाम नबी आजाद

-- PM मोदी ने नफरत फैलाकर भारत को कमजोर किया, अब हमें जनता के बीच जाना है : राहुल गांधी

Featured Video Of The Day
Parliament में धक्का मुक्की मामले ने पकड़ा तूल, Rahul Gandhi को घेरने में जुटी BJP | Sawaal India Ka
Topics mentioned in this article