मध्य प्रदेश के दतिया की तहसील इंदरगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों और एंबुलेंस स्टाफ की बड़ी लापरवाही सामने आई है. इस लापरवाही के कारण 6 माह के बच्चे की मौत हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक, बीच रास्ते एंबुलेंस में तेल खत्म हो गया था. इसलिए एंबुलेंस वक्त पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं पहुंची और बच्चे को अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. मासूम ने अपनी मां की गोद में दी दम तोड़ दिया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पूरे मामले में जांच कमेटी गठित करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है.
ग्राम बडेरी निवासी महिला रेनू जाटव अपने 6 माह के बच्चे का इलाज कराने शुक्रवार सुबह तकरीबन 10 बजे इंदरगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी. डॉक्टरों ने बच्चे का चेकअप कर उसे जिला चिकित्सालय दतिया के लिए रेफर कर दिया, लेकिन ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बीमार बच्चे को जिला चिकित्सालय दतिया ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो एंबुलेंस खड़ी थी, लेकिन उसमें तेल नहीं था. जब बच्चे की मां बार-बार डॉक्टर के सामने एंबुलेंस के लिए गिड़गिड़ाई, तब कहीं जाकर डॉक्टर ने एंबुलेंस चालक को कॉल किया. लेकिन तकरीबन 3 घंटे बाद एंबुलेंस इंदरगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंची.
एंबुलेंस के समय पर न पहुंचने के कारण उस मासूम बच्चे ने अस्पताल में ही अपना दम तोड़ दिया. 3 घंटे तक बीमार बच्चा अस्पताल के बाहर तड़पता रहा. आखिरकार उसकी अस्पताल में ही मौत हो गई. वही, ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर जितेंद्र वर्मा का कहना है कि हमने इलाज कर बच्चे को दतिया जिला चिकित्सालय में रेफर कर दिया था. इसमें हमारी क्या गलती है.
मासूम बच्चे की रोती बिलखती मां ने स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर और एंबुलेंस चालक पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. इस पूरे मामले को लेकर जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर बी कुरेले से बात की गई, तो उन्होंने कहा, "आपके जरिए यह पूरा मामला मेरे संज्ञान में आया है. मैं इस पूरे मामले की जांच एक टीम गठित कर कराऊंगा. जो भी व्यक्ति इस पूरे मामले में दोषी पाए जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."
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