Exclusive: कारम डेम ठेके पर भी ई-टेंडरिंग घोटाले का साया, जांच दल गठित लेकिन रसूखदारों पर कार्रवाई को लेकर संदेह

10 मार्च 2022 को कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने ई-टेंडर घोटाले की जांच के संबंध में सवाल पूछे थे तो जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने लिखित जवाब में कहा था कि मोहनपुरा व कारम सिंचाई परियोजना की जांच EOW कर रहा है, इनमें गड़बड़ हुई है.

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मध्य प्रदेश के धार जिले के कारम डैम में रिसाव की खबर ने हाल में सुर्खियां बटोरी थीं

भोपाल:

Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में बीजेपी की पिछली सरकार के वक्त ई-टेंडरिंग घोटाला सुर्खियों में रहा था, फिर कांग्रेस की सरकार आई. आर्थिक अपराध शाखा से लेकर मामला ईडी तक पहुंचा, दो-तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई, मामला भी दर्ज हुआ उसके बाद दो साल से चुप्पी है. ये महज संयोग नहीं है कि हाल में जिस कारम डैम में लीकेज से 20,000 से ज्यादा लोगों पर खतरा मंडराया और 100 करोड़ रुपये पानी में बह गए, उसके ठेके पर भी ई-टेंडरिंग घोटाले का साया है. सरकार ने खुद विधानसभा में यह बात मानी थी. फौरी तौर पर ई-टेंडर प्रक्रिया में 3000 करोड़ के घोटाले की बात सामने आई थी, लेकिन चूंकि ये प्रक्रिया 2014 से ही लागू है जिसके तहत तकरीबन 3 लाख करोड़ रुपये के टेंडर दिये जा चुके हैं.

मध्यप्रदेश के बांधों से भ्रष्टाचार की धारा बहती रहती है. 2021 में 35 करोड़ के पुल-पुलिया बह गए जो 2-3 सालों में बने थे. सोमवार को बीना नदी पर करोड़ों की लागत से बना बेगमगंज हैदरगढ़ पुल का हिस्सा तीन फीट तक धंस गया. यूपी-एमपी की सीमा पर राजघाट बांध बनकर बिगड़ भी गया लेकिन दोनों राज्यों ने ₹50 करोड़ नहीं दिये जिससे न तो लोकार्पण हुआ न सौंदर्यीकरण लेकिन हाल ही में कारम डैम ने जो कहानी बताई वो तो गजब ही है. कारम डैम में दो चैनल के जरिये, 15 MCM पानी तो बहा दिया गया, इसके साथ ही लगभग 100 करोड़ भी बह गए. अप्रैल 2018 में जब NDTV ने ई-टेंडर घोटाले की परतें खोली थीं तो पता लगा था कि कैसे जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कम्प्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है. लगभग 3000 करोड़ के घोटाले की जांच EOW को सौंपी गई थी. महीनों जांच शुरू नहीं हुई तब तत्‍कालीन केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से हमने सीधा सवाल पूछा था. 

10 मार्च 2022 को कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने ई-टेंडर घोटाले की जांच के संबंध में सवाल पूछे थे तो जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने लिखित जवाब में कहा था कि मोहनपुरा व कारम सिंचाई परियोजना की जांच EOW कर रहा है, इनमें गड़बड़ हुई है. गौरतलब है कि कारम का ठेका पहले गुजरात की कंपनी को मिला लेकिन मामला ई-टेंडर घोटाले में आ गया और टेंडर रद्द हो गया. इसके बाद ठेका दिल्ली की एएनएस कंस्‍ट्रक्शन ने 304 करोड़ रुपए में लिया. 10 अगस्त 2018 से काम शुरू किया गया और इसे अगस्त 2021 में पूरा करना था.

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टेंडर जारी होने बाद जल संसाधन विभाग ने एएनएस को वर्कआर्डर 10 अगस्त 2018 को जारी कर दिया. इसके मिलते ही कंपनी ने 99.86 करोड़ का काम ग्वालियर की सारथी कंपनी को 10 अक्टूबर 2018 को दे दिया. मज़े की बात है ये रकम निर्धारित राशि से लगभग 14 फीसद कम थी, फिर भी कंपनी काम करने को तैयार हो गई. ग्वालियर के रसूखदार नेताओं की करीबी सारथी ग्रुप के पास 1032 करोड़ के सरकारी ठेके हैं. ई-टेंडर घोटाले में उस वक्त जल संसाधन मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के दो निजी सचिवों की गिरफ्तारी हुई थी, इसके से एक आज भी उनके साथ ही तैनात है.

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पूरे मामले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा है कि प्रश्न यह नहीं है कि दिल्ली की ब्लैक लिस्टेड कंपनी को ठेका कैसे दे दिया गया. प्रश्न यह है कि कैसे यह ठेका पेट्टी कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर सारथी कंपनी के पास पहुंच गया, जिसमें 50 फीसद शेयर मुख्यमंत्री के ओ एस डी नीरज वशिष्ट के हैं। इस तरह दिल्ली के रास्ते ग्वालियर होता हुआ ठेका भोपाल ही नहीं मुख्यमंत्री कार्यालय ही पहुंच गया था.

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बहरहाल, राज्‍य सरकार ने कारम हादसे के लिये जांच दल गठित कर दिया है लेकिन सवाल है क्‍या रसूखदारों पर कार्रवाई होगी? पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जाँच कमेटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो जिम्मेदार लोग हैं, उन्हीं की कमेटी बनाकर सरकार इस पूरे भ्रष्टाचार पर लीपापोती का प्रयास कर रही है. मैंने अपनी सरकार में ई-टेंडर को लेकर कार्रवाई शुरू की थी. कार्रवाई चल रही थी कि हमारी सरकार गिरा दी गई, आज मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की बाढ़ आई हुई है. हर वर्ग इससे प्रभावित है. आज हर ठेके में भ्रष्टाचार है. जब तक भ्रष्टाचार ना हो, सौदा पूरा नहीं होता है.

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हालांकि, जब जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि पिछला कौन था, ये महत्वपूर्ण नहीं है. कारणों का पता तो लगेगा ना कैसे क्या हुआ. जब एनडीटीवी ने पूछा कि जिस कंपनी को ठेका मिला वो कथित तौर पर बीजेपी नेताओं के करीबी का है तो मंत्री ने कहा कि ये बात निराधार और असत्य है. ये मेरे संज्ञान में नहीं है. जांच में जो बिन्दु आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई होगी. जब हमने पूछा कि आपने ही विधानसभा में कहा था कि कारम डैम ई टेंडर घोटाले के दायरे में है तो उन्होंने कहा कि मुझे सब पता है. दोषी को नहीं छोड़ूंगा. हमने पूछा आपकी पार्टी के हों तो भी नहीं तो उनका कहना था ई-टेंडरिंग का सच पहले सामने आने दो.

गौरतलब है कि दो साल पहले ई-टेंडरिंग घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी के चैयरमैन श्रीनिवास राजू व उसके सहयोगी (सब कांट्रैक्टर) आदित्य त्रिपाठी को हैदराबाद में गिरफ्तार किया था, मेंटाना कंपनी पर मप्र सरकार के ठेकों में ऑनलाइन टेंपरिंग कर कई कंपनियों को फायदा पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. सूत्रों का कहना है कि श्रीनिवास राजू के तार मप्र के पूर्व मुख्य सचिव से लेकर एक ताकतवर पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव से जुड़ने के कारण ईडी पहले पूछताछ कर चुकी थी.

कर्मचारी से ठेकेदार बने आदित्य त्रिपाठी पर 93 करोड़ की रिश्वत बांटने के भी आरोप लगे लेकिन सबको जमानत मिल गई, मध्यप्रदेश में सरकार बदल गई और ई टेंडरिंग कहीं फाइलों में दबकर रह गया.

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