पति ने पत्नी के सांवले रंग के चलते की तलाक की मांग, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए की अहम टिप्पणी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी के सांवले रंग का हवाला देते हुए तलाक की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने अहम टिप्पणी करते हुए समाज में रंगभेद को खत्म करने और मानसिकता बदलने की अपील की.

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बिलासपुर हाईकोर्ट (फाइल फोटो).
बिलासपुर:

छत्तीसगढ़ में पति-पत्नी के बीच तलाक की मांग का अजीबोगरीब मामला सामने आया है. बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में दायर अर्जी (Divorce Case) में पति ने पत्नी के सांवले रंग का हवाला देते हुए तलाक की मांग की. मामले में हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने पति के तलाक अर्जी को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि त्वचा के रंग की पसंद को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है, बल्कि समाज को एकजुट होकर त्वचा के रंग के पूर्वाग्रह से छुटकारा पाने के लिए काम करना चाहिए.

बता दें कि हाईकोर्ट में अपील दायर करने से पहले पति ने जिला कोर्ट (District Court) में तलाक की अर्जी दायर की थी. जहां फैसला उसके पक्ष में नहीं आने के बाद पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act) के तहत तलाक की डिक्री प्राप्त करने के लिए उसके द्वारा क्रूरता या परित्याग का कोई आधार नहीं बनाया गया था.

ऐसी मानसिकता को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता

न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने फैसले में कहा कि समाज में सांवली त्वचा की तुलना में गोरी त्वचा को प्राथमिकता देने की ऐसी मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए पति को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने पत्नी के साथ हुए दुर्व्यवहार पर भी आपत्ति जताई. अदालत ने फैसले में सांवली त्वचा वाली महिलाओं की स्थिति पर टिप्पणी करने के लिए संभावित भागीदार के रूप में किसी व्यक्ति की उपयुक्तता तय करने को लेकर त्वचा के रंग की प्राथमिकता पर एक अध्ययन का हवाला दिया और बड़े पैमाने पर समाज से इस मुद्दे पर चर्चा और सुधार करने की अपील की.

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अदालत ने कहा, "अध्ययन से पता चलता है कि आकर्षण और योग्यता को उनके प्रभाव को कम करने के लिए नियंत्रित किया जाता है, जो त्वचा के रंग में भिन्नता का कारण बनता है. त्वचा के समकक्ष और त्वचा को गोरा करने वाले अधिकांश सौंदर्य प्रसाधन महिलाओं को लक्षित करते हैं." इसके साथ ही अदालत ने कहा, "मानव जाति के पूरे समाज को घर पर संवाद को बदलने की जरूरत है, जो त्वचा की निष्पक्षता को बढ़ावा नहीं दे सकता है."

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क्या है मामला?

बता दें कि इससे पहले पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की थी. 30 जुलाई 2022 को फैमिली कोर्ट ने अपना फैसला पत्नी के पक्ष में सुनाया. जिसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट की डिक्री को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की. अपील में पति ने अपनी पत्नी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति के कारण उसकी पत्नी ने 2005 में उसे छोड़ दिया और शादी के कुछ महीने के बाद अपने मायके चली गई. पति ने आरोप लगाया कि उसके गंभीर प्रयासों के बावजूद 2017 के बाद से उसकी पत्नी कभी भी वैवाहिक संबंधों में शामिल नहीं हुई. इसके साथ ही पति ने तलाक अर्जी में बताया कि उसे छोड़ने के बाद उसकी पत्नी ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है.

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वहीं दूसरी ओर पत्नी ने पति पर उसके रंग को लेकर दुर्व्यवहार करने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. पत्नी ने आरोप लगाया कि उसकी गर्भावस्था के दौरान उसके पति ने उसे शारीरिक चोट पहुंचाई और अपने घर से बाहर निकाल दिया. इसके साथ ही पत्नी ने बताया कि उसका पति दूसरी शादी करना चाहता था इसलिए उसने उसे छोड़ दिया.

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