मध्यप्रदेश में 120 से अधिक म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगस, रोगियों को पिछले कुछ दिनों में प्रतिकूल प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है, क्योंकि इस बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा का एक सस्ता विकल्प कथित तौर पर तीन प्रमुख अस्पतालों को दिया गया था. उनमें बुखार, उल्टी और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव जैसे लक्षण दिखाई दिए. इन मरीजों का इलाज सागर, जबलपुर और इंदौर जिले के सरकारी अस्पतालों में चल रहा था.
मध्यप्रदेश में अब तक भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सागर, उज्जैन, ग्वालियर, रीवा, देवास, रतलाम और बुरहानपुर में ब्लैक फंगस के 1,005 सक्रिय मरीज सामने आए हैं. इन अस्पतालों में 5 जून से लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी के बजाए, लियोफिलाइज्ड एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन दिया जा रहा था.
डॉक्टरों ने कहा कि लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी, जिसकी कीमत 3,000 रुपये से 7,000 रुपये प्रति इंजेक्शन के बीच है, में एक सक्रिय दवा पदार्थ को समाहित करने के लिए लिपिड का उपयोग शामिल है. लियोफिलाइज्ड एम्फोटेरिसिन-बी की कीमत केवल 300 रुपये से 700 रुपये के बीच है.
राज्य के सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के मरीजों को नि:शुल्क इंजेक्शन दिए जा रहे हैं. आज तक, राज्य में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सागर, उज्जैन, ग्वालियर, रीवा, देवास, रतलाम और बुरहानपुर में 1005 सक्रिय ब्लैक फंगस रोगी हैं.
शनिवार को सरकार के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) सागर में एम्फोटेरिसिन-बी दिए जाने के बाद कम से कम 27 लोग बीमार हो गए. कॉलेज के जनसंपर्क अधिकारी डॉ उमेश पटेल ने कहा, "इंजेक्शन लगते ही मरीजों ने बुखार, उल्टी, ठंड लगने और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव की शिकायत की और इसके बाद दवा का इस्तेमाल तुरंत बंद कर दिया गया.
जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में रविवार को करीब 50 मरीजों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. डॉ कविता सचदेव, जो कॉलेज में ईएनटी विभाग की प्रमुख हैं, ने कहा "शाम के 4 बजे के आसपास मैंने सागर में मरीजों की खबर पढ़ी. यह महसूस करते हुए कि मैंने भी वही इंजेक्शन दिए थे, मैंने फौरन अपनी टीम से संपर्क किया, इलाज के बाद रोगियों की स्थिति स्थिर हो गई."
इस बीच, इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में, लियोफिलाइज्ड एम्फोटेरिसिन-बी का उपयोग रविवार को बंद कर दिया गया था, क्योंकि इंजेक्शन लेने वाले कुछ रोगियों को साइड इफेक्ट हो रहा था. अस्पताल के डीन डॉ संजय दीक्षित ने हालांकि कहा कि यह कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है. दीक्षित ने बताया, "हिमाचल प्रदेश के एक दवा संयंत्र में तैयार एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के इस प्रभाव के बाद हमने मरीजों को इसे लगाना एहतियात के तौर पर रोक दिया है. हमें इस संयंत्र में तैयार एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की 3,000 शीशियां मिली थीं."
डीन ने हालांकि यह भी कहा कि यह तथ्य पहले से ज्ञात है कि एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन लगाए जाने के बाद 30 से 70 प्रतिशत मरीजों में बुखार, ठंड लगने और शरीर अकड़ने सरीखे प्रभाव सामने आ सकते हैं.
दवा के साथ समस्या के बारे में भोपाल के बंसल अस्पताल में कोविड केयर के निदेशक, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ स्कंद त्रिवेदी ने कहा कि एम्फोटेरिसिन-बी सामान्य रूप से डॉक्टरों द्वारा विशेष रूप से इम्यूनोसप्रेसिव एजेंटों पर रोगियों द्वारा उपयोग किया जाता है. त्रिवेदी ने कहा, "लियोफिलाइज्ड एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन सस्ते होते हैं, लेकिन लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी की तुलना में किडनी खराब होने की संभावना अधिक होती है, जो महंगा होता है."
देश में ब्लैक फंगस के अब तक कुल 28,252 मामले सामने आए, महाराष्ट्र में सबसे अधिक केस
इन खबरों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जांच की मांग की थी. नाथ ने कहा, "साधारण इंजेक्शन हिमाचल प्रदेश से लाए गए हैं. सरकार को इनके इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश देने चाहिए."